अंधविश्वास भरी बातों की तरफ बिल्कुल ध्यान मत दो और सूर्यग्रहण भी जरूर देखो बस सूर्य की तरफ देखते समय आंखों पर काला चश्मा या कुछ और जरूर लगा लें क्योंकि सूर्य की रोशनी आपकी आंखों पर प्रभाव डाल सकती है

एक राजा बड़ा सनकी था।

एक बार सूर्यग्रहण हुआ तो उसने राजपंडितों से पूछा, ‘‘सूर्यग्रहण क्यों होता है?’’

पंडित बोले, ‘‘राहू के सूर्य को ग्रसने से।’’

राहू क्यों और कैसे ग्रसता है? बाद में सूर्य कैसे छूटता है?’’

पंडितों ने एक से बढ़कर एक कथा सुनाई, किसी ने क्या, किसी ने क्या बताया, सुझाया।

जब उसे इन प्रश्नों के संतोषजनक उत्तर नहीं मिले तो उसने आदेश दिया,

‘‘हम खुद सूर्य तक पहुंचकर सच्चाई पता करेंगे। एक हजार घोड़े और घुड़सवार तैयार किए जाएं।’’

राजा की इस बात का विरोध कौन करे? उसका वफादार मंत्री भी चिंतित हुआ। मंत्री का एक बेटा था वह छोटी उम्र में ही बड़ा होशियार था, विज्ञान और बुद्धि का बेहतरीन इस्तेमाल करता था।

जब बेटे को पिता की चिंता का कारण पता चला तो उसने कहा, ‘‘पिता जी! मैं भी आपके साथ यात्रा पर चलूंगा।’’

पिता, ‘‘बेटा! राजा की आज्ञा नहीं है। तू अभी छोटा है।’’

“नहीं पिता जी! पुरुषार्थ एवं विवेक उम्र के मोहताज नहीं होते है। मैं राजा को आने वाली विपदा से बचाकर ऐसी सीख दूंगा जिससे वह दोबारा कभी ऐसी आज्ञा नहीं देगा।”*

मंत्री, ‘‘अच्छा ठीक है पर जब सभी आगे निकल जाएं, तब तू धीरे से पीछे-पीछे आना।’’

राजा को यही ज्ञान था कि सूर्य तक पहुंचा जा सकता है लेकिन राजा सैनिकों के साथ निकल तो पड़ा पर चलते-चलते काफिला एक घने जंगल में फंस गया। तीन दिन बीत गए। भूखे-प्यासे सैनिकों और राजा को अब मौत सामने दिखने लगी। हताश होकर राजा ने कहा, ‘‘सौ गुनाह माफ हैं, किसी के पास कोई उपाय हो तो बताओ।’’

मंत्री, *‘‘महाराज! इस काफिले में मेरा बेटा भी है। उसके पास इस समस्या का हल है। आपकी आज्ञा हो तो…’’

‘‘हां-हां, तुरंत बुलाओ उसे।’’

राजा मंत्री का बेटा हाजिर होकर बोला, ‘‘महाराज! मुझे पहले से पता था कि हम लोग रास्ता भटक जाएंगे क्योंकि आपने राजपण्डितों के चक्कर मे आकर गलत निर्णय लिया। आपके जानने, समझने के स्रोत पूर्णतः गलत थे इसीलिए सबसे पहले हम घर कैसे पहुंचे उसके लिए मैं अपनी प्रिय घोड़ी को साथ लाया हूं। इसका दूध-पीता बच्चा घर पर है। जैसे ही मैं इसे लगाम से मुक्त करूंगा, वैसे ही यह सीधे अपने बच्चे से मिलने के लिए भागेगी और हमें रास्ता मिल जाएगा।’’

ऐसा ही हुआ और सब लोग सकुशल राज्य में पहुंच गए।

राजा ने पूछा, बेटे! तुमको कैसे पता था कि हम राह भटक जाएंगे और घोड़ी को रास्ता पता है? यह युक्ति तुम्हें कैसे सूझी?’’*

‘‘राजन! सूर्य हमसे करोड़ों कोस दूर है और कोई भी रास्ता सूरज तक नहीं जाता। तमाम गप्पें केवल मनुष्यों को मूर्ख बनाने के लिए गढ़ी गई हैं। एक समय हमारे पास सच तक पहुंचने के साधन नहीं थे तब यह सत्य लगते थे लेकिन आज सत्य सामने हैं और सत्य को ठुकरा कर असत्य को सत्य मान बैठे हैं अत: कहीं न कहीं फंसना स्वाभाविक था।’’

दूसरा, ‘‘पशुओं की भी अपनी योग्यता है कि वे कैसी भी अनजान राह में हों उन्हें अपने घर का रास्ता ज्ञात होता है। उनका मस्तिष्क याददाश्त के मामले में हमसे कहीं बेहतर होता है।

तीसरा, ‘‘समस्या बाहर होती है, समाधान भीतर होता है। जहां बड़ी-बड़ी शास्त्र व लोग काम करना बंद करते हैं वहां विज्ञान व सच्चा गुरु ज्ञान ही मनुष्य का उद्धार कर सकते हैं। आप बुरा न मानें तो एक बात कहूं?’’

‘‘नि:संकोच कहो।’’

‘‘यदि आप अपने जानने, समझने के स्रोत को ठीक कर दो तो आने वाली पीढ़ी तर्कशील और प्रगतिशील बनेंगी अन्यथा जिंदगी भर, पीढ़ी दर पीढ़ी झूठ के सहारे जीती रहेगी। जागृति से प्रजा भी उन्नत होगी, जिससे राज्य में सुख-शांति और समृद्धि बढ़ेगी।’’

राजा उसकी बातों से बहुत प्रभावित हुआ, बोला, ‘‘मैं तुम्हें एक हजार स्वर्ण मोहरें पुरस्कार में देता हूं और आज से अपना सलाहकार मंत्री नियुक्त करता हूं। अब भी अपने राज्य में उन्नत शिक्षा को जीवन में लाऊंगा।’’

इस घटना से आपको आज 21 जून को लगने वाले सूर्यग्रहण के विषय मे समझना होगा। 21 जून यानी उत्तरी ध्रुव में सबसे बड़ा दिन। आज ही इस साल का सबसे बड़ा सूर्य ग्रहण भी लग रहा है सूर्य ग्रहण या चंद्र ग्रहण एक सामान्य सी (नेचुरल) घटना है जो सौरमंडल बनने के बाद अब तक लगातार जारी है।

यह तो आजकल स्कूल की पांचवी कक्षा की किताबों में ही बता दिया जाता है कि जब सूर्य और धरती के बीच चंद्रमा आ जाता है तो सूर्य ग्रहण होता है।

शुरू में मनुष्य इन आकाशीय घटनाओं को लेकर आशंकित रहा होगा क्योंकि उनके बारे में इसे कोई ज्ञान नहीं था. लेकिन विज्ञान और टेक्नोलॉजी की तरक्की के साथ इन आकाशीय घटनाओं के बारे में मनुष्य के विचार में बदलाव आता गया और इस प्रकार उनका इन घटनाओं से डरने की भावना धीरे-धीरे समाप्त होती गई।

इसके विपरीत भारत में इन आकाशीय घटनाओं से लोगों में अभी भी डर व्याप्त है। लोगों में डर फैलाने की अहम भूमिका ज्योतिषी निभा रहे हैं क्योंकि यह घटनाएं उनको मोटी कमाई करने का अवसर प्रदान करती हैं।

यह दुर्भाग्य की बात है कि हमारे समाज में लोग अभी भी अंधविश्वास से ग्रस्त हैं, ऐसे तो यह अंधविश्वास और भी बहुत से देशों में है, लेकिन भारत में कुछ ज्यादा ही है। कल सुबह से ही बहुत सारे ज्योतिष शास्त्री या हमारे न्यूज़ चैनल या दूसरे धार्मिक चैनल एडवाइजरी देने शुरू कर देंगे कि हमें कब क्या करना है, कब खाना खाना है, कब पानी पीना है, कब पानी भरना है, और कब खाना बनाना है, किस पर ग्रहण का क्या प्रभाव पड़ेगा।

गर्भवती महिलाओं पर इसका क्या प्रभाव पड़ेगा, इससे बचने के लिए हमें कौन से दान करने हैं, कैसा पूजा पाठ करना है, ग्रहण समाप्त होने तक बस यह सब ड्रामा चलता रहेगा और हमारी मूर्ख जनता भी इन बातों को को सच मानकर इन बातों का अनुसरण करती रहेगी, बहुत सारे लोग तो शायद ग्रहण समाप्त होने तक नहीं खाना बनाएंगे और ना ही खाएंगे कुछ तो शायद पानी भी नहीं पिएंगे।

इसलिए इन अंधविश्वास भरी बातों की तरफ बिल्कुल ध्यान मत दो और सूर्यग्रहण भी जरूर देखो बस सूर्य की तरफ देखते समय आंखों पर काला चश्मा या कुछ और जरूर लगा लें क्योंकि सूर्य की रोशनी आपकी आंखों पर प्रभाव डाल सकती है वह चाहे आप सूर्य ग्रहण के समय देखो या बिना सूर्य ग्रहण के समय बाकि यह सब खगोलीय घटनाएं हैं जिनका किसी होनी-अनहोनी से कोई लेना देना नहीं होता है, न राहु-केतु जैसा कोई ग्रह है, न पूजा, पाठ, दान, दक्षिणा से इसमें ककी फर्क पड़ने वाला है। कभी इन ढोंग फैलाने वाले चैनल्स को छोड़कर डिस्कवरी या अन्य साइंस फिक्शन चैनल्स व प्रोग्राम जरूर देखिये तथा जाग्रत एवं उन्नत बनिये। धन्यबाद।

सूर्य ग्रहण 25th October 2022, evening




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