एक कौवा एक वन में रहा करता था,उसे कोई कष्ट नहीं था और वह अपने जीवन से पूरी तरह सन्तुष्ट था!

एक कौवा एक वन में रहा करता था,उसे कोई कष्ट नहीं था और वह अपने जीवन से पूरी तरह सन्तुष्ट था!

एक दिन उड़ते हुए वह एक सरोवर के किनारे पहुँचा! वहाँ उसने एक उजले सफ़ेद हंस को तैरते हुए देखा।

उसे देखकर वह सोचने लगा – “यह हंस कितना सौभाग्यशाली है, जो इतना सफेद और सुन्दर है। इधर मुझे देखो, मैं कितना काला और बदसूरत हूँ।ये हंस अवश्य इस दुनिया का सबसे खुश पक्षी होगा!”

वह हंस के पास गया और अपने मन की बात उसे बता दी। सुनकर हंस बोला, “नहीं मित्र! वास्तव में ऐसा नहीं है।

पहले मैं भी सोचा करता था कि मैं इस दुनिया का सबसे सुन्दर पक्षी हूँ. इसलिए बहुत सुखी और खुश था लेकिन एक दिन मैंने तोते को देखा; जिसके पास दो रंगों की अनोखी छटा है!

उसके बाद से मुझे यकीन हुआ कि वही दुनिया का सबसे सुन्दर और खुश पक्षी है”

हंस की बात सुनने के बाद कौवा तोते के पास गया और उससे पूछा कि क्या वह दुनिया का सबसे खुश पक्षी है?

तोते ने उत्तर दिया, “मैं बहुत ही खुशगवार जीवन व्यतीत कर रहा था! लेकिन जब मैंने मोर को देखा था तो अब मुझे लगता है कि मोर से सुन्दर तो कोई हो ही नहीं सकता। इसलिये मेरी समझ से वही दुनिया का सबसे सुखी और खुश पक्षी है।

इसके बाद कौवा मोर की खोज में निकला उड़ते-उड़ते वह एक चिड़ियाघर पहुँचा! वहाँ उसने देखा कि *मोर एक पिन्जरे में बन्द है और उसे देखने के लिए बहुत सारे लोग जमा हैं और सभी मोर की बहुत सराहना कर रहे थे!

सबके जाने के बाद कौवा मोर के पास गया और उससे बोला, “तुम कितने सौभाग्यशाली हो, जो तुम्हारी सुन्दरता के कारण हर रोज़ हजारों लोग तुम्हें देखने आते हैं! मुझे तो लोग अपने आस-पास भी फटकने नहीं देते और देखते ही भगा देते हैं! तुम इस दुनिया के सबसे खुश पक्षी हो ना?”

कौवे की बात सुनकर मोर उदास हो गया।

वह बोला, “मित्र! मुझे भी अपनी सुन्दरता पर बड़ा गुमान था।

मैं सोचा करता था कि मैं इस दुनिया का क्या, बल्कि इस पूरे ब्रम्हाण्ड का सबसे सुन्दर पक्षी हूंँ। इसलिए खुश भी बहुत था। लेकिन मेरी यही सुन्दरता मेरी शत्रु बन गई है और मैं इस चिड़ियाघर में बन्द हूंँ।

यहांँ आने के बाद इस पूरे चिड़ियाघर का अच्छी तरह मुआयना करने के बाद मैं इस नतीजे पर पहुंँचा हूंँ कि कौवा ही एक ऐसा पक्षी है जो यहांँ कैद नहीं है।

इसलिए पिछले कुछ दिनों से मैं सोचने लगा हूंँ कि काश मैं कौवा होता तो कम से कम आजादी से बाहर घूम सकता और तब मैं इस दुनिया का सबसे सुखी और खुश पक्षी होता।

हम भी अपने जीवन में हमेशा दूसरों को देखकर स्वयंँ की तुलना व्यर्थ ही उनसे करने लगते हैं और दुखी हो जाते हैं! भगवान ने सब को अलग बनाया है और अलग गुण दिए हैं! हम उसका महत्व नहीं समझते और अपनी ही तुलनात्मक दृष्टि के कारण दुख के चक्र में फंँस जाते हैं। इसलिए दूसरों के पास जो है उसे देखकर ईर्ष्या करने की बजाय यह सोचने के कि हमें हमारे पास जो भी है उसके साथ खुश रहना सीखना चाहिए; खुशी बाहर ढूंढने से नहीं मिलती, वह तो हमारी अन्दर ही छिपी हुई है।

इस ईर्ष्या का त्याग केवल मात्र भजन सुमिरणसे ही हो सम्भव है इसलिए हमें श्री गुरु महाराज जी की आज्ञा में रहकर भजन सुमिरण करना चाहिए। अपने जीवन को सार्थक बनाना चाहिए।




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