गधे और बाघ की तकरार का परिणाम

गधे और बाघ की तकरार का परिणाम

एक बार गधे और बाघ के बीच बड़ी लड़ाइ हो गयी!

गधे ने बाघ से कहा, घास नीली है!
बाघ ने कहा, घास हरी है!

“विवाद बढ़ता गया और *दोनों के बीच गर्मागर्मी तेज हो गई!” दोनों ही अपने-अपने कथन में दृढ़ थे!

इस विवाद को समाप्त करने के लिए दोनों जंगल के राजा शेर के पास गए!

पशु साम्राज्य के बीच में सिंहासन पर बैठा एक शेर था!

बाघ के कुछ कहने से पहले ही गधा चिल्लाने लगा, महाराज, घास नीला है ना?

शेर ने कहा – हाँ, घास नीली है!

तब गधा गुमान में आकर कहता है, महाराज, ये बाघ नहीं मान रहा, इसे ठीक से सजा दी जाए!!

शेर राजा ने घोषणा की कि, बाघ को एक साल की जेल होगी!
राजा का फैसला गधे ने सुना और वह पूरे जंगल में खुशी से झूम रहा था!

बाघ को एक साल की जेल की सजा सुनाई गई! बाघ शेर के पास गया और पूछा, क्यों महाराज ! घास हरी है, क्या यह सही नहीं है?

शेर ने कहा – हाँ! घास हरी है!
बाघ ने कहा तो मुझे जेल की सजा क्यों दी गई है?

शेर ने कहा, आपको घास नीले या हरे रंग के लिए सजा नहीं मिली, आपको उस मूर्ख गधे के साथ बहस करने के लिए दंडित किया गया है! आप जैसे बहादुर और बुद्धिमान जीव ने गधे से बहस की और निर्णय लेने के लिए मेरे पास आये!

जरा सोचे, क्या कभी कभार अपने को समझदार और ज्ञानी मानकर हमको भी अपने जीवन में ऐसे गधों का सामना करना नहीं करना पड़ता?
क्या हम अपने विचारों की सत्यता पर मुहर लगाने की कोशश नहीं किया करते?
और जब हमारे हिसाब से वाजिव उत्तर हमें नहीं मिलता तो हम भ्रमित नहीं होते?

इसलिय जरूरी यही है कि इस परिवर्तन से परिपूर्ण संसार में भ्रमित नहीं होना है और अपने रोल को, अपने लक्ष्य को, अपने समय को अपने लिय जीना है!
क्योंकि यह हमको जीवन दूसरों के लिय नहीं बल्कि अपने जीवन का आनन्द लेने के लिय मिला है!




Leave a Reply