जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े और उसके बिस्तर आदि उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते हैं।

जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े और उसके बिस्तर आदि उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते हैं।

पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत-प्रोपर्टी आदि इन सबको नहीं छोड़ता? यहां तक कि मरे हुए के शरीर से कीमती चीजें चुपके से निकालकर जेब में डाल लेते हैं।

इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था?… और असली रिश्ता क्या है… जो जाने वाले के साथ जाती है?

हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केश जले ज्यूँ घास।
कंचन जैसी काया जल गई, कोई न आया पास।।

फिर भी
इस अटल सत्य को बोध होने के बावजूद, आज का इंसान मेरा मेरी के चक्कर में उलझा रहता है और अपनों से ही छल करता रहता है और परमात्मा द्वारा दिए इस जीवन रुपी उपहार का असली आनन्द लेने से वंचित रह जाता है!
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