मानव और दानव में अंतर: माँ हैं ममतामयी मूरत

🙏🏼तीन दिन से भूखे थे शेर दम्पत्ति
मिल नही पाया था जंगल में कोई शिकार
घने पेड़ की छांव में अधलेटे राजा – रानी
नजर पड़ी एक जीव पर मिल गया आहार

शेरनी ने मुंह उठाकर सूंघी उसकी गंध
आवाज दिशा में दौड़ पड़ी लगाकर पूरा जोर
गाय का नवजात बच्चा था अकेला खड़ा
मौत आती देखकर मां – मां चिल्लाया पुरजोर

शेरनी भी तेजी से दौड़ी आगे – आगे बच्चा
अपनी कोशिश भर उसने भी भरी कुलांचें
नवजात शिशु भी अपनी मां को रहा पुकार

थोड़ी देर में ही फूल गई उस अबोध की आंतें
अचानक दोनों के बीच हुआ ह्रदय परिवर्तन

बच्चा स्वयं शेरनी को मां – मां कहकर पुकारा
अपनी मां समझकर मांग रहा था दूध
ढूंढ रहा था स्तन पीने दूध बेचारा
अपने मुंह से शेरनी पर कर रहा था प्रहार

मां की ममता जीत गई हार गए पकवान
शेरनी ने भी त्याग दिया मारने का विचार

मां शब्द की वेदना न समझ सका इन्सान?

ऐसा करिश्मा न देखा न सुना
तीन दिन की भूखी शेरनी छोड़ दी आहार
खेलने लगी उसके साथ पशु प्रेम का खेल
अचानक देने लगी उसे अपने बच्चे सा प्यार

ढूढते – ढूढते शेर पहुंचा शेरनी के पास
भूखी अतड़ियों में खुशी की लहर दौड़ी
झपट्टा मारकर बच्चे की तरफ दौड़ा शेर

मुंह में बच्चा दबाकर शेरनी गर्दन मोड़ी
शेर को धमकाते हुए शेरनी गुर्राई

ये भी है किसी दुखियारी मां का लाल
इसके मर जाने से इसकी मां कितना रोएगी

कभी -कभी पशु भी दिखलाते मानवता बेमिसाल
जंगल का राजा भी हो गया चुपचाप
ममतमामयी शेरनी अपने स्वामी से लड़ गई
तीन दिन की भूखी प्यासी ये प्रेमी जोड़ी

पापी पेट हार गया मां की ममता जीत गई
भूखी शेरनी का भी दिल पसीज गया

हम तो पढ़े – लिखे मानव कहलाते
मां – मां शब्द की आवाज से ही

कहे हमारे बच्चे क्यों दानव बन जाते😳

अदभुत, अविस्मरणीय,




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