सतत अभ्यास करो!!

सतत अभ्यास करो!!

एक साहब ने तोता पाल रखा था और उस से बहुत प्रेम करते थे!

एक दिन एक बिल्ली उस तोते पर झपटी और तोता उठा कर ले गई!

वो साहब रोने लगे तो लोगो ने कहा: भाई आप क्यों रोते हो? हम आपको दूसरा तोता ला देते हैं!

वो साहब बोले: मैं तोते की जुदाई पर नही रो रहा हूं।

फिर उनसे पूछा गया: फिर क्यों रो रहे हो?

कहने लगे: दरअसल बात ये है कि मैंने उस तोते को मंत्र सिखा रखा था जिसे वो सारा दिन मंत्र रटता रहता था! आज जब बिल्ली उस पर झपटी तो वो मंत्र पढ़ना भूल गया और टाएं टाएं करने लगा।

अब मुझे ये फिक्र खाए जा रही है कि मंत्र तो मैं भी पढ़ता हूँ लेकिन जब काल के दूत मुझ पर झपटेगें! न मालूम मेरी जबान से मंत्र निकलेगा या तोते की तरह टाएं-टाएं निकलेगी!

इसीलिए महापुरुष कहते हैं कि महाराजी से प्राप्त ज्ञान का अभ्यास इतना पक्का कर लो कि यह आपकी आदत बन जाय! इसके बिना हर पल फीका लगने लगे!

अगर थोड़ी भी लापरवाही हुई, अभ्यास करना छोड़ दिया तो अन्तिम समय ऐसा न हो हम भी तोते की तरह भगवान के नाम की जगह हाय-हाय करने लगें।
इसलिए निरंतर भजन अभ्यास बहुत ज़रूरी है!

आपका दिन मंगलमय हो!




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