‼️ आपके कर्म ही आपकी पहचान है ‼️

*‼️ आपके कर्म ही आपकी पहचान है ‼️*

एक फ़कीर श्मसान में दो चिताओं की राख बड़े ध्यान से देख रहा था। किसी ने पूछा, *बाबा ! ऐसा क्यों देख रहे हो इस राख को।*

फ़कीर ने कहा कि, *यह एक अमीर आदमी की लाश की राख है- जिसने हमेशा काजू-बादाम खाये हैं।*
और
*यह दूसरी एक गरीब आदमी की लाश है जिसे दो वक़्त की रोटी भी बड़ी मुश्किल से मिलती थी।*
लेकिन
*इन दोनों की लाश की राख एक जैसी है फिर भी पता नहीं ज़िन्दगी भर आदमी को घमंड किस बात पर होता है !*

इस कटु सत्य को जब हम समझेंगे तो *तभी नश्वरता के परे उस शाश्वत से जुड़े रहेंगे – जो था, है और रहेगा!*

*आपका जीवन मंगलमय हो!*




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