आपके जीवन डोर कहां बंधी है?

🌸आपके जीवन डोर कहां बंधी है?🌸

एक पूर्णिमा की रात में एक छोटे-से गांव में, कुछ जवान लड़कों ने शराबखाने में जाकर शराब पी ली और जब वे शराब के नशे में मदमस्त हो गये और शराब-घर से बाहर निकले तो चांद की बरसती चांदनी में उन्हें यह खयाल आया कि नदी पर जायें और नौका-विहार करें।

रात बड़ी सुन्दर और नशे से भरी हुई थी। वे गीत गाते हुए नदी के किनारे पहुंच गये। नाव वहां बंधी थी। मछुए नाव बांधकर घर जा चुके थे। रात आधी हो गयी थी।

वे एक नाव में सवार हो गये। उन्होंने पतवार उठा ली और नाव खेना शुरू किया। फिर वे रात देर तक नाव खेते रहे।

सुबह की ठण्‍ड़ी हवाओं ने उन्हें सचेत किया। जब उनका नशा कुछ कम हुआ तो उनमें से किसी ने पूछा, ‘‘कहां आ गये होंगे अब तक हम। आधी रात तक हमने यात्रा की है!

न-मालूम कितनी दूर तक निकल आये होंगे। नीचे उतर कर कोई देख ले कि किस दिशा में हम चल रहे हैं, कहां पहुंच रहे हैं?”

जो व्यक्ति नीचे उतरा था, वह नीचे उतर कर हंसने लगा।
उसने कहा, ‘‘दोस्तो! तुम भी उतर आओ। हम कहीं भी नहीं पहुंचे हैं। हम वहीं खड़े हैं, जहां रात नाव खडी थी।”

वे बहुत हैरान हुए। रात भर उन्होंने पतवार चलायी थी और पहुंचे कहीं भी नहीं थे!

नीचे उतर कर उन्होंने देखा तो पता चला कि नाव की जंजीरें किनारे से बंधी रह गयी थीं और उन्हें वे खोलना भूल गये थे!

अज्ञानता से, अहंकार के नशे से भरा मनुष्य का जीवन भी इन्हीं शराबियों की तरह पूरी रात नाव खेने जैसा है!

पूरे जीवन पतवार खेने पर कहीं भी पहुंचता हुआ मालूम नहीं पड़ता। मरते समय आदमी वहीं पाता है स्वयं को, जहां वह जन्मा था!

ठीक उसी किनारे पर, जहां आंख खोली थी- आंख बंद करते समय आदमी पाता है कि वहीं खड़ा है और तब बड़ी हैरानी होती है कि जीवन में इतनी जो दौड़- धूप की, उसका क्या हुआ?

वह जो प्रण किया था – कहीं पहुंचने का, वह जो यात्रा की थी कहीं पहुंचने के लिए, वह सब निष्फल गयी!

मृत्यु के क्षण में आदमी वहीं पाता है अपने को, जहां वह जन्म के क्षण में था! तब सारा जीवन एक सपना मालूम पड़ने लगता है और महसूस होने लगता है कि यह जीवन नैया (नाव) भी कहीं न कहीं माया मोह की खूंटी में बंधी रह गयी।

हां, कुछ लोग- कुछ सौभाग्यशाली लोग- गुरू कृपा से मरते के बाद नहीं बल्कि जीते जी वहां पहुंच जाते हैं – जहां जीवन का आकाश है!जहां जीवन का प्रवास है! जहां सत्य है! जहां परमात्मा का असली मंदिर है। जहां शान्ति है! जहां परमानन्द है!

लेकिन, वहां वे ही लोग पहुंचते हैं, जो किनारे से, खूंटे से जंजीर खोलने के लिए अपने जीवन नैय्या की डोर सद्गुरु को पकड़ा देते हैं और सद्गुरु समय समय पर याद दिलाते रहते हैं कि – आपके जीवन का असली आनन्द आपके अंदर ही है – जिसे आप अज्ञानता में बाहर खोज रहे हैं!

🙏🏻🙏 सुप्रभात🙏🏽🙏🏿




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