*एक ऐसा प्रसंग जो हमें बहुत बड़ा सन्देश देता है।*

*एक ऐसा प्रसंग जो हमें बहुत बड़ा सन्देश देता है।*

एक पर्यटक ऐसे शहर मे आया जो शहर उधारी में डूबा हुआ था!

पर्यटक ने *500 रुपए का नोट* होटल रेस्टोरेंट के काउंटर पर रखे और कहा : *मैं जा रहा हूँ आपके होटेल के अंदर कमरा पसंद करने !*
होटल का मालिक फ़ौरन भागा घी वाले के पास और उसको वही *500 रुपए का नोट* देकर घी का हिसाब चुकता कर लिया!
घी वाला भागा दूध वाले के पास और जाकर वही *500 रुपए का नोट* देकर दूध का हिसाब पूरा करा लिया!
दूध वाला भागा गाय वाले के पास और गायवाले को वही *500 रुपए का नोट* देकर दूध का हिसाब पूरा करा दिया!
गाय वाला भागा चारे वाले के पास और चारे के खाते कि उधारी उसी *500 रुपए का नोट* को देकर कटवा आया!
अंत में चारे वाला गया उसी होटल पर- वो वहां कभी कभी उधार में रेस्टोरेंट मे खाना खाता था! उसने भी वही *500 रुपए का नोट* देके अपना हिसाब चुकता किया!

पर्यटक होटल के अन्दर कमरा देखकर वापस आया और यह कहकर अपना *500 रुपए का नोट* वापस ले गया कि *उसे कोई रूम पसंद नहीं आया!*

*न किसी ने कुछ लिया – न किसी ने कुछ दिया! सबका हिसाब चुकता भी हो गया।*

*अब बताओ गड़बड़ कहाँ हुई?*
गड़बड़ कहीं भी नहीं है बल्कि यह हम सभी की गलतफहमी है कि *रुपये हमारे हैं।*

सचमुच हम भूल बैठे कि *खाली हाथ आये थे और एक ना एक दिन खाली हाथ ही इस संसार से जाना है।*

इस बात पर गंभीरता के साथ विचार करें और *जीवन के महत्व को समझकर उसका आनंद लें।*

😄 हमेशा खुश रहे मस्त रहे 😁
*आपका जीवन मंगलमय बना रहे!*




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