जीवन का आनंद!

एक सम्राट राजा अपने शक्ति के बल पर दुनिया भर में राज करने लगा था।

वह अपनी शक्ति पर इतना गुमान करने लगा था कि अब वह अमर होना चाहता था।
उसने पता लगाया कि कहीं ऐसा जल है जिसे पीने से व्यक्ति अमर हो सकता है।

देश – दुनिया में भटकने के बाद आखिरकार राजा ने उस जगह को खोज लिया जहां पर उसे अमृत प्राप्त हो सकता था।

वह एक पुरानी गुफा थी, जहां पर कोई आता जाता नहीं था।

देखने में वह बहुत डरावनी लग रही थी, लेकिन राजा ने एक जोर से सांस ली और गुफा में प्रवेश कर गया।

वहां पर उसने देखा कि गुफा के अंदर एक अमृत का झरना बह रहा है।

उसने जल पीने के लिए हाथ ही बढ़ाया था कि एक कौवे की आवाज आई।

कौवा गुफा के अंदर ही बैठा था। कौवा जोर से बोला, ठहरो, रुक जाओ, यह भूल मत करो।

सिकंदर ने कौवे की तरफ देखा। वह बड़ी ही दयनीय अवस्था में था, पंख झड़ गए थे। पंजे गिर गए थे। वह अपंग भी हो गया था। बस कंकाल मात्र ही शेष रह गया था।

राजा ने कहा, तू कौन होता है मुझे रोकने वाला? यह अमृत पीने से मुझे तू कैसे रो सकता है?

तब कौवे ने आंखों से आंसू टपकाते हुए बोला कि मैं भी अमृत की तलाश में ही इस गुफा में आया था और मैंने जल्दबाजी में बिना सोच विचार के अमृत पी लिया। अब मैं कभी मर नहीं सकता, लेकिन अब मैं मरना चाहता हूं पर मर नहीं सकता। देखो मेरी हालत!
कौवे की बात सुनकर राजा देर तक सोचता रहा। सोचने के बाद फिर बिना अमृत पीये ही चुपचाप गुफा से बाहर वापस लौट आया।

राजा समझ चुका था कि जीवन का आनंद उस समय तक ही रहता है; जब तक हम उस आनंद को भोगने की स्थिति में होते हैं।

इसलिए, जीवन में हमें हमेशा खुश रहना चाहिए। हमें कभी भी खुश रहने के लिए बड़ी सफलता या समय का इंतजार नहीं करना चाहिए!

क्योंकि समय के साथ हम बूढ़े होते जाते हैं और फिर अपने जीवन का असली आनंद नहीं उठा पाते हैं।

जिसका मन मस्त है – उसके पास समस्त है।।

इसलिए जीवन को बिंदास रहकर जियो। दुनिया भर का टेंशन मत लो। मृत्यु के कुछ समय बाद तुम्हे सब भूल जाएंगे!
साथ रहेंगे तो केवल अविनाशी और अविनाशी तक पहुंचने का रास्ता बताने वाले सद्गुरु !

सद्गुरु यही कहते हैं कि –
जिन्दगी जबरदस्त है-
इसे जबरदस्ती ना जिएं;
बल्कि
जबरदस्त तरीके से जिएं!
तभी –
इस जीवन में जीवन के असली आनन्द का अनुभव हो पायेगा!
🙏🙏🙏🙏🙏




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