देशभक्ति

देशभक्ति

प्रताप चित्तौड़ के राणा उदय सिंह का बेटा था।
प्रताप राणा के बेटे थे उन्हें गाने बजाने का बहुत शौक था। यूँ तो वो सदैव देश भक्ति गीत की लय में रहते थे, लेकिन फिर भी लोग उन्हें कहते थे। तुम एक राजपूत घराने के भविष्य के राणा हो।यह क्या शौक लिए हुए हो।गाना बजाना तो चारणों का काम हैं। तुम्हे तबले या ढोल की नहीं तलवार और बरची की ताल सिखाना चाहिये ।

इस पर प्रताप एक ही बात बोलते थे।देशभक्ति केवल तलवार से ही जाहिर नहीं होती, और मेरा यह कथन में सिद्ध करके बताऊंगा।
उन दिनों चित्तौड़ सबसे शक्तिशाली राष्ट्र था। जिसका लोहा सभी मानते थे।और मुग़ल भी एक मात्र चित्तौड़ को चुनौति मानते थे।और हमेशा उस पर फ़तेह के लिए हमला करते थे।

एक बार मुगलों ने चित्तौड़ पर हमला किया। किला इतना मजबूत था। कि राजपूत सैनिको ने जम कर मुकाबला किया और मुगलों को पीछे हटना पड़ा।उस वक्त प्रताप बस्ती में रहते थे। और अपने देश भक्ति गीतों में झूम रहे थे।

एक मुग़ल सैनिक प्रताप को पकड़कर अपने तम्बू में ले गया लेकिन मुग़ल प्रताप को एक गाँव वासी समझ रहे थे।प्रताप की आवाज बहुत सुरीली थी इसलिए उसे गाने के लिए कहा गया और सभी जम कर बैठ गये। जिसमे सभी सेना के विशेष लोग थे | प्रताप को उनकी भाषा में गाने का आदेश दिया गया | लेकिन इसके पीछे मुगलों का एक मकसद था। मुगलों ने यह योजना बनाई थी कि जब ये गाँव का चारण गायेगा तो किले के भीतर आवाज जाएगी और उन्हें लगेगा कि कोई राजपूत मदद के लिए पुकार रहे हैं। और वे दुर्ग का दरवाजा खोल देंगे। लेकिन प्रताप ने अपनी भाषा में ऐसे गीत गाये कि किले के सैनिक सावधान हो गये और सभी ने मुगुलो पर तीरों की वर्षा कर दी,उस वक्त सभी बड़े मुग़ल वहाँ मौजूद थे। वे सभी मारे गये।
अंत में प्रताप फिर अपनी देश भक्ति में लीन अपनी कुटिया को जा रहे थे। तब उन्होंने सभी को कहा देश भक्ति केवल तीरों या तलवारों में नहीं होती।या केवल राजपूतो की मोहताज नहीं होती।  एक साधारण चारण द्वारा भी बड़ी से बड़ी जंग जीती जा सकती हैं ।

💐💐शिक्षा💐💐

आज के समय से इसे जोड़े तो यही संदेश हैं कि देशभक्ति केवल सीमा पर जा कर ही नहीं होती।हर व्यक्ति देश के प्रति प्रेम रखता हैं,इसके लिए कोई फ़ोर्स ज्वाइन करना जरुरी नहीं,हम सभी अपने कार्यों के जरिये देश के लिए काम कर सकते हैं।जैसे क्राइम को कम करने के लिए जागरूक हो जाये,एक दुसरे का साथ दे क्यूंकि देश की धरोहर वहाँ के लोग हैं। अतः जब तक प्रजा सुखी ना होगी किसी देश की साख न बढ़ेगी।

आज के वक्त में अन्याय के  खिलाफ आवाज उठाना ही देश भक्ति हैं।और भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ना ही देश के प्रति हमारा लक्ष्य हैं।वक्त के हिसाब से देश भक्ति के मायने बदल गये हैं।अब किसी से भूमि के लिए नहीं अपितु देश के भीतर अपनों से भ्रष्ट आचरण के लिए लड़ना देश भक्ति हैं।

सदैव प्रसन्न रहिये।
जो प्राप्त है, पर्याप्त है।।




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