निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय.

निंदक नियरे राखिए, आंगन कुटी छवाय.

“आपको कुछ लोग ऐसे भी मिले हुए होंगे, जो आपकी पीठ पीछे आपकी निंदा करते होंगे। उनसे घृणा न करें। वे तो मुफ्त में आपको आपके दोषों की जानकारी देते हैं, और आपकी शुद्धि करते हैं।”

आज आप किसी बड़े वकील साहब से सलाह लेने जाएं, तो लाखों रुपया देना पड़ता है। सलाह इतनी महंगी हो गई है। फिर भी उस सलाह का लाभ होगा, या नहीं, यह कहना कठिन है। ऐसी स्थिति में यदि कोई व्यक्ति आप को मुफ्त में अच्छी सलाह देवे, आपके दोष बतावे, और आपका शुद्धिकरण करे, तो आपको कितना बड़ा लाभ होगा!

“वह व्यक्ति चाहे आपके सामने आपका दोष बतावे, चाहे आपकी पीठ पीछे बतावे, और वाया वाया जानकारी आप तक पहुंचे। तो भी आप को उस में लाभ ही है।”
आप उस व्यक्ति द्वारा बताई गई अच्छी सलाह पर अथवा उसके बताए गए दोष पर खूब गहराई से चिंतन करें, विचार करें, कि “उसने जो आपका दोष बताया है, क्या वह सही है? क्या वह दोष वास्तव में आपके अंदर है? यदि है, तो उस सत्य को स्वीकार करें, और उस दोष को दूर करें। इससे आप की शुद्धि हो जाएगी आपका जीवन पवित्र होगा। आपके दुख दूर हो जाएंगे। उस दोष के कारण जो आप गलतियां करते थे, जो आपसे अपराध होते थे, वे गलतियां/ अपराध दूर हो जाएंगे। अर्थात भविष्य में आप वैसी गलतियां नहीं करेंगे। और उनके दंड से भी बच जाएंगे।”

इससे क्या पता चला, कि यदि कोई व्यक्ति मुफ्त में आपको दोष बताता है, तो उस से घृणा नहीं करनी चाहिए, बल्कि उस का उपकार मानना चाहिए।

दूसरा पक्ष — “उसके द्वारा बताया गया दोष यदि आपके अंदर नहीं है। तब तो चिंता की कोई बात ही नहीं है? तब कोई चिंता नहीं करनी चाहिए। तब तो आपको मस्त प्रसन्न रहना चाहिए।”
क्योंकि मनुष्य अल्पज्ञ है। उसके जानने में अनेक बार भूलें हो सकती हैं। कभी-कभी वह अज्ञानता से भी आप पर झूठा आरोप लगा सकता है। कभी जानबूझकर भी।

चाहे अनजाने में लगाए अथवा जानबूझकर लगाए, उसके कर्म का फल तो वही भोगेगा। परंतु आपको तो उसकी बात से लाभ उठा लेना चाहिए। जैसा कि ऊपर बताया गया है।

“यदि आप ऐसा करेंगे तो आपके दोष कम होते जाएंगे, और आप में अच्छे गुण आते जाएंगे। परिणाम – आपका दुख कम होता जाएगा, और सुख बढ़ता जाएगा।”




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