साहस की जरूरत

🏵️ *”साहस की जरूरत”*🏵️

सरल मनुष्य परमात्मा से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकता | उसे अपने परमपिता परमात्मा की निकटता अवश्य मिलती है | बस एक बार उसे स्पष्ट रूप से अपने व्यक्तित्व का बोध हो जाना चाहिए |
उसे पता चल जाना चाहिए कि *मेरे भीतर क्या है और क्या नहीं है ?*

संत महापुरुषों के वचन हैं कि *अपने व्यक्तित्व का अनुभव आपको स्वयं ही प्राप्त करना होता है | यह कोई दूसरा तुम्हें नहीं बता सकता | यह स्वयं ही निरीक्षण करोगे तो स्थिति दिखाई पड़ेगी अपनी| निरीक्षण तभी सफल होगा, जब तुम अपने को धोखा देने की कोशिश ना करो| अगर निरंतर स्वयं को धोखा देते रहोगे, तो बड़ी कठिनाई होगी आपको!*

यह याद रखना कि *जीवन में सरलता आते ही सब कठिनाइयां खुद ही भाग जाती हैं!*
हमारे संतो ने कहा है कि *इतनी सरलता होनी चाहिए, इतनी मानवता होनी चाहिए, इतनी विनम्रता होनी चाहिए, इतना मुक्त मन होना चाहिए कि हम अपनी बुराइयों को स्वयं ही देख सकें! अपने सही व्यक्तित्व को जान कर उसे झूठा व्यक्तित्व ना होने देने का साहस कर सकें|*

नहीं तो कई लोग अभिनेता हो जाते हैं | दिखावेबाजी करने वाले प्रदर्शनकारी बन जाते हैं| जो परमात्मा ने उनके भीतर नहीं डाला होता, वह अपने ऊपर ओढ़ लेते हैं|
ऐसा करके तो कुछ साधु लोग भी अपने चित्त को जटिल व कठिन बना लेते हैं | उनके भीतर कुछ होता है, बाहर कुछ और दिखाते हैं!
*अपनी इस स्थिति को उघाड़ कर देखने का साहस करना होगा हमें!*
तब देखते ही पीड़ा का अनुभव होगा और स्वयं को बदलने का विचार आएगा| जिंदगी में परिवर्तन लाकर सदशिष्य बनने के विचार उठेंगे |

फलस्वरूप *जीवन में सरलता, शांति, प्रेम, ध्यान, मैत्री और सहयोग के भाव आने शुरू होने लगेंगे! फिर हमें ओढ़ा हुआ झूठ छुपाने की जरूरत नहीं पड़ेगी|*

सद्गुरु की कृपा से इतनी धन्यता आएगी जीवन में कि *स्वयं को परम सत्य के निकट पाएंगे हम| जीवन में सरलता आते ही सद्गुरु भी हमारे अंग संग हो जाते हैं!*
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