होली का त्योहार क्यों मनाते हैं 

होलिका दहन

हिरण्यकश्यपु के कहने पर होलिका प्रह्लाद को मारने के लिए अपनी गोद में बैठाकर आग में प्रवेश कर कई। किंतु भगवान विष्णु की कृपा से तब भी भक्त प्रह्लाद बच गया और होलिका जल गई। तभी से बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में होलिका दहन होने लगा और ये त्योहार मनाया जाने लगा।

रंगों का त्योहार

होली, जिसे ‘रंगों का त्योहार’ के रूप में जाना जाता है, फाल्गुन (मार्च) के महीने में पड़ने वाली पूर्णिमा के दिन मनाया जाता है। होली मनाने के लिए तेज संगीत, ड्रम आदि के बीच विभिन्न रंगों और पानी को एक दूसरे पर फेंका जाता है। भारत में कई अन्य त्योहारों की तरह, होली भी बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है।

होली कब शुरू हुई थी?

ज्ञात रूप से यह त्योहार 600 ईसा पूर्व से मनाया जाता रहा है। 5. रामगढ़ के अभिलेख : विंध्य क्षेत्र के रामगढ़ स्थान पर स्थित ईसा से 300 वर्ष पुराने एक अभिलेख में भी इसका उल्लेख किया गया है। इससे यह सिद्ध होता हैं कि यह त्योहार ईसा से 300 वर्ष पूर्व भी मनाया जाता था।

2023 में होली की असली तारीख क्या है?

आपको बता दें कि इसे पूरे देश में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। भारत में होली 2023 की तारीख 8 तारीख को होगी। हिंदू पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को होली मनाई जाती है। साल 2023 में रंगों का त्योहार होली 8 मार्च 2023 को पड़ रहा है।1

2023 में होलिका दहन का शुभ मुहूर्त

पञ्चांग के अनुसार होलिका दहन 07 मार्च 2023 को होलिका दहन करें. 6 मार्च 2023 दिन सोमवार समय रात्रि 12 बजकर 23 मिनट से 01 बजकर 35 मिनट तक होलिका दहन किया जाएगा. परंपरा अनुसार काशी में होली 07 मार्च 2023 को मनाया जायेगा

आंखों, नाक, मुंह और खुले घावों के आस-पास रंग न लगाएं । – भांग एक साथ न खाएं और पिएं, खासतौर पर मिठाई। इसके अलावा, रंगों से होने वाली किसी भी प्रतिक्रिया को रोकने के लिए अपनी त्वचा और बालों को ढंकना या सुरक्षित रखना बहुत महत्वपूर्ण है।



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