How hollow is a man’s opinion??

आदमी की राय कितनी खोखली होती है ??

☀️ मान लो, आप धूप में कहीं जा रहे हो, पसीने से तर-बतर, बहुत प्यासे, पर कहीं भी पानी नहीं मिल रहा।

ऐसे में आप एक वृक्ष की छाया में थकान मिटाने के लिए खड़े हो जाते हो!

तभी सामने की एक इमारत की पहली मंजिल की खिड़की खुलती है और आपकी एक व्यक्ति से आँखें मिलती हैं।

आपकी स्थिति देखकर, वह व्यक्ति हाथ के इशारे से आपको पानी के लिए पूछता है।

आपने तत्काल उस व्यक्ति पर एक राय बनाई कि कितना सहृदय व्यक्ति है।

उस व्यक्ति के लिये यह आपकी पहली राय है।

आदमी नीचे आने का इशारा करता है और खिड़की बंद कर देता है।

आप पानी लेने तेज़ कदमों से उसके दरवाज़े पर पहुंचते हो।

लेकिन नीचे का दरवाजा 15 मिनट बाद भी नहीं खुलता है।

अब उस व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय है?

आप उसे अनापसनाप गालियां देते है। बेवकूफ, झूठा, आलसी, कहीं का – कहीं मुझे पागल तो नहीं बना रहा है।

यह आपकी दूसरी राय है।

थोड़ी देर बाद दरवाजा खुलता है और आदमी कहता है कि –

देरी के लिए मुझे खेद है, आपकी हालत देखकर, मैंने आपको पानी के बजाय नींबू पानी देना सबसे अच्छा समझा। इसलिए थोड़ा लंबा समय लगा।

सोचिये उस व्यक्ति के बारे में अब आपकी क्या राय है?

कितना अच्छा आदमी है!

अब जैसे ही आप शर्बत की पहली घूंट पीते हैं, आपको पता चलता है कि इसमें चीनी नहीं है।

अब सोचिये उस व्यक्ति के बारे में क्या राय है?

बेवकूफ, नालायक, कंजूस कहीं का?

आपके चेहरे को खट्टेपन से भरा हुआ देखकर, व्यक्ति धीरे से चीनी का एक पाऊच निकालता है और कहता है कि माफ कीजिये, मुझे पता नहीं था आप कितनी चीनी लेंगे, इसलिए अलग से चीनी ले आया। आप जितनी चाहें, उतनी डाल लें।

अब उसी व्यक्ति के बारे में आपकी क्या राय होगी? 🤔

आप खुद मनन कीजिये कि-
एक सामान्य सी स्थिति में भी, अगर हमारी राय इतनी खोखली है और लगातार बदलती जा रही है, तो क्या हम किसी के भी बारे में राय देने के काबिल हैं या नहीं?

🙏इसलिए किसी के बारे में हड़बड़ी में राय ना बनाइए।

🐿️कौन किस परिस्थिति या स्थिति में क्या एक्शन कर रहा है, ये वो ही बेहतर जानता है।

👉हो सकता है अपनी अपनी स्थिति/परिस्थिति में आप भी ठीक हो और दूसरा भी ठीक हो।👈

🤔वास्तव में, दुनिया में हम सभी को इतना ही समझ में आया है कि अगर कोई व्यक्ति हमारी अपेक्षाओं के अनुरूप व्यवहार करता है, तो वह अच्छा है अन्यथा वह बुरा है।

विचारणीय बिंदु है!
स्वयं आत्मावलोकन करें। अपने दिमाग़ की नहीं दिल की सुनें!

स्वयं की आवाज़ सुनें! इससे हमारी अपनी कमियों को दुरुस्त करने का मौका मिलेगा!



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