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ब्राइटन युनाइटेड किंगडम 8 जून 2024 के लाइव स्ट्रीमिंग के कुछ विशेष अंश

“स्वंम की आवाज़” पुस्तक जो पढ़ता है उसकी महिमा ऐसी है कि वह मनुष्य को ड्राइवर के सीट पर बैठा देती है।

अंतिम 30 सेकेंड में आप शान्ति के बारे में सोंचते हैं, अपने को परिपूर्ण करने के बारे में सोंचते हैं या दिन भर की परेशानियों को देखते हैं।

आप जीवित होने का आनन्द ले सकते हैं, उसे पकड़ नहीं सकते। तो क्या आप आनन्द लेने की कला को सीख लिए हैं ?

किसी भी चीज की ज्यादा परिभाषाएं, ज्यादा भ्रम पैदा करती हैं।

एक भी व्यक्ति ऐसा नहीं है जिसे शान्ति खोजने पर मिल सके, क्योंकि शान्ति आपके अन्दर है।

अनुयायी वो होता है जो सिर्फ सुनता है, वो अनुवाद नहीं करता। तो क्या आप सुनते हैं ? सुनने के लिए आपको शान्त रहना होगा। क्या आपको पता है कि कैसे शांत होना है, कैसे चुप होना है। ये सब आपपे निर्भर करता है, इसके लिए कोई आकाशीय संकेत नहीं आएगा, तो आपका क्या निर्णय है ?

जब अन्धकार हो तो आपको प्रकाश की जरूरत है पर प्रकाश आपके ही अंदर है।

जुकाम हो जाने पर रूमाल की जरूरत होती है, इसका मतलब यह नहीं है कि रूमाल से जुकाम ठीक हो। ज्ञान आपके बारे में है न कि किसी और के बारे में, यह सिर्फ आपके ही बारे में है।

आपके बनाए हुए स्वर्ग में वही लोग आते हैं, जिन्हें आप पसन्द करते हैं। आप अपने स्वर्ग को स्वर्ग बनाते हैं क्योंकि ये आपकी कल्पना का स्वर्ग है, ठीक इसी प्रकार आप अपनी कल्पना से नर्क भी बनाते हैं।

उपस्थिति लोगों को संबोधित करते हुए प्रेम जी कहते हैं कि आपके यहां आने से आपको पता चला कि आप वास्तव में स्वर्ग बना सके।

कल्पना का आनन्द हो या न हो पर असली आनन्द जरूर हो। आपको हार्दिक बधाई कि आप इस पल में जीवित हैं।

हमेशा अपने पैरों पर खड़े रहिये। समझ जो आपकी होनी चाहिए वो आपकी ही होनी चाहिए अर्थात् आपकी खुद की समझ।

यदि मैं उस अविनाशी का अनुभव कर सकता हूं तो आप भी उसका अनुभव कर सकते हैं।

अविनाशी को जानने की जरूरत नहीं है बल्कि उसका अनुभव करने की जरूरत है।

समय जो आपके पास उपलब्ध है, वो सीमित है। यह समय आपको स्वतंत्र भी करा सकता है और गुलाम भी बना सकता है।

हम सभी “पृथ्वी नाम के एयरपोर्ट” पर हैं और एक दूसरे से पूछ रहे हैं कि आपको कहां जाना है। यदि हम इसी प्रकार करते रहेंगे तो जीवित रहने का जो असली मजा है, उस मौके को खो देंगे। आप एयरपोर्ट पर एक दूसरे यात्री से मिलने नहीं आए हैं न ही ये पूछने कि कहां जा रहे हैं।

आपका ध्यान आपके कार्यसूची पर होना चाहिए न कि पड़ोसी के।

आपको तकनीक सेडरने की जरूरत नहीं है, बल्कि आपको अज्ञानता से डरने की जरूरत है।

प्रेम रावत
ब्राइटन युनाइटेड किंगडम
8 जून 2024


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