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  • !! पैरों के निशान !!

    !! पैरों के निशान !!

    जन्म से ठीक पहले एक बालक भगवान से कहता है, ”प्रभु आप मुझे नया जन्म मत दीजिये! मुझे पता है पृथ्वी पर बहुत बुरे लोग रहते हैं! मैं वहाँ नहीं जाना चाहता!” और ऐसा कह कर वह उदास होकर बैठ जाता है।

    भगवान् स्नेह पूर्वक उसके सर पर हाथ फेरते हैं और सृष्टि के नियमानुसार उसे जन्म लेने की महत्ता समझाते हैं! बालक कुछ देर हठ करता है पर भगवान् के बहुत मनाने पर वह नया जन्म लेने को तैयार हो जाता है।

    “ठीक है प्रभु, अगर आपकी यही इच्छा है कि मैं मृत लोक में जाऊं तो वही सही , पर जाने से पहले आपको मुझे एक वचन देना होगा।” बालक भगवान् से कहता है।

    भगवान् बोले – पुत्र तुम क्या चाहते हो?

    बालक ने कहा : आप वचन दीजिये कि जब तक मैं पृथ्वी पर हूँ तब तक हर एक क्षण आप भी मेरे साथ होंगे।
    भगवान् ने कहा, अवश्य ऐसा ही होगा।

    बालक ने फिर संशय वयक्त किया कि प्रभु, पर पृथ्वी पर तो आप अदृश्य हो जाते हैं! भला मैं कैसे जानूंगा कि आप मेरे साथ हैं कि नहीं?

    भगवान् बोले : जब भी तुम आँखें बंद करोगे तो तुम्हें दो जोड़ी पैरों के चिन्ह दिखाइये देंगे, उन्हें देखकर समझ जाना कि मैं तुम्हारे साथ हूँ।

    फिर कुछ ही क्षणो में बालक का जन्म हो जाता है।

    जन्म के बाद वह संसारिक बातों में पड़कर भगवान् से हुए वार्तालाप को भूल जाता है! जीवन के अन्तकाल में मरते समय उसे इस बात की याद आती है तो वह भगवान के वचन की पुष्टि करना चाहता है।

    वह आखें बंद कर अपना जीवन याद करने लगता है। वह देखता है कि उसे जन्म के समय से ही दो जोड़ी पैरों के निशान दिख रहे हैं| परंतु जिस समय वह अपने सबसे बुरे वक़्त से गुजर रहा था उस समय केवल एक जोड़ी पैरों के निशान ही दिखाइये दे रहे थे!

    यह देख वह बहुत दुखी हो जाता है कि भगवान ने अपना वचन नही निभाया और उसे तब अकेला छोड़ दिया जब उनकी सबसे अधिक ज़रुरत थी।

    मरने के बाद वह भगवान् के समक्ष पहुंचा और रूठते हुए बोला, ”प्रभु ! आपने तो कहा था कि आप हर समय मेरे साथ रहेंगे, पर मुसीबत के समय मुझे दो की जगह एक जोड़ी ही पैर दिखाई दिए – बताइये आपने उस समय मेरा साथ क्यों छोड़ दिया?”

    भगवान् मुस्कुराये और बोले, पुत्र ! जब तुम घोर विपत्ति से गुजर रहे थे तब मेरा ह्रदय द्रवित हो उठा और मैंने तुम्हे अपनी गोद में उठा लिया, इसलिए उस समय तुम्हे सिर्फ मेरे पैरों के चिन्ह दिखायी पड़ रहे थे।

    बार हमारे जीवन में जब बुरा वक़्त आता है तो लगता है कि हमारे साथ बहुत बुरा होने वाला है और जब बाद में हम पीछे मुड़ कर देखते हैं तो पाते हैं कि हमने जितना सोचा था उतना बुरा नहीं हुआ, क्योंकि शायद यही वो समय होता है जब ईश्वर हम पर सबसे ज्यादा कृपा करता है।

    अपनी अल्पज्ञता के कारण हम सोचते हैं कि भगवान् भी हमारा हमसे मुंह मोड़कर हमारा साथ नहीं दे रहे हैं लेकिन हकीकत में वो हमें अपनी गोद में उठाये होता है।

    जब ज्ञान के द्वारा हमें पता चलता है कि वह परम शक्ति तो हर पल हमारे साथ ही है – बस थोडा सा बाहर की आँखों को बंद करके अन्दर की ओर से झांकने की जरूरत है!
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  • !! बुद्धिमान साधू !!

    !! बुद्धिमान साधू !!

    किसी राजा के राजमहल के द्वार पर एक साधु आया और द्वारपाल से बोला कि भीतर जाकर राजा से कहे कि उनका भाई आया है।

    द्वारपाल ने समझा कि शायद ये कोई दूर के रिश्ते में राजा का भाई हो जो संन्यास लेकर साधुओं की तरह रह रहा हो!

    सूचना मिलने पर राजा मुस्कुराया और साधु को भीतर बुलाकर अपने पास बैठा लिया।

    साधु ने पूछा – कहो अनुज, क्या हाल-चाल हैं तुम्हारे?

    “मैं ठीक हूँ आप कैसे हैं भैया?”, राजा बोला।

    साधु ने कहा- जिस महल में मैं रहता था, वह पुराना और जर्जर हो गया है। कभी भी टूटकर गिर सकता है। मेरे 32 नौकर थे वे भी एक-एक करके चले गए। पाँचों रानियाँ भी वृद्ध हो गयीं और अब उनसे कोई काम नहीं होता…

    यह सुनकर राजा ने साधु को 10 सोने के सिक्के देने का आदेश दिया। साधु ने 10 सोने के सिक्के कम बताए।

    तब राजा ने कहा, इस बार राज्य में सूखा पड़ा है, आप इतने से ही संतोष कर लें।

    साधु बोला- मेरे साथ सात समंदर पार चलो वहां सोने की खदाने हैं। मेरे पैर पड़ते ही समुद्र सूख जाएगा… मेरे पैरों की शक्ति तो आप देख ही चुके हैं।

    अब राजा ने साधु को 100 सोने के सिक्के देने का आदेश दिया।

    साधु के जाने के बाद मंत्रियों ने आश्चर्य से पूछा, “क्षमा करियेगा राजन, लकिन जहाँ तक हम जानते हैं आपका कोई बड़ा भाई नहीं है, फिर आपने इस ठग को इतना इनाम क्यों दिया?”

    राजन ने समझाया, “देखो,  भाग्य के दो पहलु होते हैं। राजा और रंक। इस नाते उसने मुझे भाई कहा।

    जर्जर महल से उसका आशय उसके बूढ़े शरीर से था!!
    32 नौकर उसके दांत थे
    और 5 वृद्ध रानियाँ, उसकी 5 इन्द्रियां हैं।

    समुद्र के बहाने उसने मुझे उलाहना दिया कि राजमहल में उसके पैर रखते ही मेरा राजकोष सूख गया… क्योंकि मैं उसे मात्र दस सिक्के दे रहा था जबकि मेरी हैसियत उसे सोने से तौल देने की है। इसीलिए उसकी बुद्धिमानी से प्रसन्न होकर मैंने उसे सौ सिक्के दिए और कल से मैं उसे अपना सलाहकार नियुक्त करूँगा।

    इस प्रसंग से हमें ये सीख मिलती है कि किसी भी व्यक्ति के बाहरी रंग रूप से उसकी बुद्धिमत्ता का अंदाजा नहीं लगाया जा सकता इसलिए हमें सिर्फ किसी ने खराब कपडे पहने हैं या वो देखने में अच्छा नहीं है; उसके बारे में गलत विचार नहीं बनाने चाहियें बल्कि उसकी आंतरिक प्रज्ञा का आदर करना चाहिय!
    कहा भी है कि –
    भेष देख मत भूलिय, पूछ लीजिये ज्ञान!
    मोल करो तलवार की, पड़े रहन दो म्यान!!
    🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻🙏🏻

  • “-” 408 0 “-” “-“

    Some of the solutions from that forum thread:

    • RequestReadTimeout header=0 body=0This disables the 408 responses if a request times out.
    • Change the ELB health check to a different port.
    • Disable logging for the ELB IP addresses with:
    SetEnvIf Remote_Addr "10\.0\.0\.5" exclude_from_log
    CustomLog logs/access_log common env=!exclude_from_log
  • “Security alert”
    As you may have noticed, I sent you an email in your account. This means that I have full access to your device and accounts. I’ve been watching you for a few months now. The fact is that you were infected with malware through an adult site that you visited. If you are not familiar with this, I will explain. Trojan Virus gives me full access and control your devices. This means that I can see everything on your screen, turn on the camera and microphone, but you do not know about it. I also have access to all your contacts and all your correspondence. Why your antivirus did not detect malware? @nswer: My malware uses the driver, I update its signatures every 4 hours so that your antivirus is silent. I made a video showing h0w you satisfy yourself in the left half of the screen, and in the right half you see the video that you watched. With one click of the m0use, I can send this vide0 to all your emails and contacts^. If you want to prevent this, tr@nsfer the amount of $856 to my bitcoin* @ddress (if you do not kn0w how to do this, write to Google: “Buy Bitcoin”). My bitcoin @ddress (BTC Wallet) is: 12yCNJHAwda8Kgxv9DswpS9k16XnstSqcJ After receiving the payment, I will delete the video and you will never hear me again. I give you 48 hours to pay. I have a notice reading this letter, and the timer will work when you see this letter. Filing a complaint somewhere does not make sense because this email cannot be tracked like my bitcoin address. I do not make any mistakes. If I find that you have shared this message with someone else, the video will be immediately distributed. Disclaimer added by CodeTwo Exchange Rules 2010 http://www.codetwo.com
  • “जैसे घर में रोज झाड़ू लगाई जाए, तो घर साफ रहता है। अन्यथा कचरा तो हवा में उड़ कर प्रतिदिन बिना बुलाए आता ही है, जिससे घर गंदा होता रहता है।”

    “जैसे घर में रोज झाड़ू लगाई जाए, तो घर साफ रहता है। अन्यथा कचरा तो हवा में उड़ कर प्रतिदिन बिना बुलाए आता ही है, जिससे घर गंदा होता रहता है।”

         इसी प्रकार से व्यक्ति के मन में संसार की वस्तुओं को देखकर, काम क्रोध लोभ ईर्ष्या द्वेष अभिमान आदि दोषों का कचरा तो रोज़ बिना बुलाए आता ही है। "यदि आप अपने मन की शुद्धि नहीं करेंगे, तो यह कचरा धीरे-धीरे बढ़ता जाएगा। और एक दिन इतना बढ़ जाएगा, कि आपका जीना भी कठिन हो जाएगा। सारी शांति भंग हो जाएगी। आनंद उत्साह निर्भयता प्रेम सेवा दया इत्यादि गुणों को ये कचरा दबा देगा। और इन उत्तम गुणों के दब जाने से, उस कचरे के इन गुणों पर हावी हो जाने से, आप अच्छी प्रकार से नहीं जी पाएंगे।" 

    आज सारे संसार की लगभग यही स्थिति है। लोग इस कचरे की शुद्धि नहीं करते। असली ईश्वर की भक्ति उपासना नहीं करते। “कुछ लोग करते भी हैं, तो गलत तरीके से करते हैं। वे असली ईश्वर को समझते ही नहीं, कि वास्तव में ईश्वर का सही स्वरूप क्या है? जो ईश्वर नहीं है, उसे ईश्वर मानकर बैठे हैं। और उसकी भक्ति उपासना पूजा करते हैं। उससे कोई लाभ नहीं होता। जैसे मधुमक्खी यदि प्लास्टिक के फूलों पर बैठे, तो उसे वहां से असली रस नहीं मिलता, जो बगीचे में असली फूलों पर बैठने से मिलता है। बिल्कुल इस दृष्टांत के अनुसार आज संसार के लोग नकली ईश्वर की पूजा कर रहे हैं। तो सोचिए वह लाभ कैसे मिलेगा, जो असली ईश्वर की पूजा भक्ति उपासना करने से मिलता है?”

    अतः असली ईश्वर को पहचानें। “अपने अंदर उत्तम गुणों की, उत्तम संस्कारों की स्थापना करें। जैसे कि वेदों को पढ़ना, ऋषियों के ग्रंथ पढ़ना, असली ईश्वर = निराकार सर्वशक्तिमान न्यायकारी आनंदस्वरूप ईश्वर की उपासना करना, अपने घर में प्रतिदिन यज्ञ हवन करना, बच्चों की अच्छी प्रकार से देखभाल करना, उनको भी यही अच्छे संस्कार देना, मन की शांति को मुख्य मानना, चरित्र को मुख्य समझना, और धन संपत्ति एवं भोगों का मूल्य इनकी तुलना में कम समझना, धन प्राप्ति के लिए कम पुरुषार्थ करना, और चरित्र की सुरक्षा के लिए अधिक पुरुषार्थ करना इत्यादि उत्तम गुणों को, अच्छे संस्कारों को यदि आप धारण करेंगे, तो आपके मन की शुद्धि होती रहेगी, और आप शांति पूर्वक अपना जीवन जी सकेंगे।” “अन्यथा संसार की स्थिति बहुत खराब है। प्रतिदिन रेडियो टेलीविजन आदि के द्वारा, संसार की खराब स्थिति से आप अच्छी प्रकार से परिचित होते ही रहते हैं।”

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