बिनु सतसंग विवेक नहिं होई
सतसंग और विवेक ऐसी शक्ति है, जिसके बिना मानव सत्य-असत्य, अच्छे-बुरे का आकलन करने में असमर्थ रहता है। इसके अभाव में मानव और पशु की सीमा-रेखा धुंधला जाती है। निद्रा, भोजन, भोग, भय के स्तर पर ज्ञान और विवेक के कारण ही मानव सबसे अलग नजर आता है। आत्मज्ञान नहीं, विवेक नहीं, तो मानव भी […]
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