सबसे बड़ी समस्या – हमारी सोच

सबसे बड़ी समस्या – हमारी सोच

बहुत समय पहले की बात है! एक महाज्ञानी पंडित हिमालय की पहाड़ियों में कहीं रहते थे। लोगों के बीच रह कर वह थक चुके थे और अब ईश्वर भक्ति करते हुए एक सादा जीवन व्यतीत करना चाहते थे लेकिन उनकी प्रसिद्धि इतनी थी कि लोग दुर्गम पहाड़ियों, सकरे रास्तों, नदी-झरनो को पार कर के भी उससे मिलना चाहते थे!
उनका मानना था कि यह विद्वान उनकी हर समस्या का समाधान कर सकता है।

इस बार भी कुछ लोग ढूंढते हुए उसकी कुटिया तक आ पहुंचे! पंडित जी ने उन्हें इंतज़ार करने के लिए कहा! इस प्रकार तीन दिन बीत गए और भी कई लोग वहां पहुँच गए! जब लोगों के लिए जगह कम पड़ने लगी तब पंडित जी बोले, ”आज मैं आप सभी के प्रश्नो का उत्तर दूंगा!
लेकिन आप सबको वचन देना होगा कि यहाँ से जाने के बाद आप किसी और से इस स्थान के बारे में नहीं बताएँगे ताकि आज के बाद मैं एकांत में रह कर अपनी साधना कर सकूँ!
अगर आप लोगों को मंजूर हो तो अपनी-अपनी समस्याएं बताइये!

यह सुनते ही एक व्यक्ति ने अपनी परेशानियां बतानी शुरू की! लेकिन वह अभी कुछ शब्द ही बोल पाया था कि बीच में किसी और ने अपनी बात कहनी शुरू कर दी!

सभी जानते थे कि आज के बाद उन्हें कभी पंडित जी से बात करने का मौका नहीं मिलेगा; इसलिए वे सब जल्दी से जल्दी अपनी बात रखना चाहते थे!
कुछ ही देर में वहां का दृश्य मछली-बाज़ार जैसा हो गया और अंततः पंडित जी को चीख कर बोलना पड़ा, ”कृपया शांत हो जाइये और आप लोग अपनी -अपनी समस्या एक पर्चे पर लिखकर मुझे दीजिये!“

सभी ने अपनी-अपनी समस्याएं लिखकर आगे बढ़ा दी! पंडित जी ने सारे पर्चे लिए और उन्हें एक टोकरी में डाल कर मिला दिया और बोले, ”इस टोकरी को एक-दूसरे को पास कीजिये और इसमें से हर व्यक्ति एक पर्ची उठाएगा और उसे पढ़ेगा! उसके बाद उसे निर्णय लेना होगा कि *क्या वो अपनी समस्या को इस समस्या से बदलना चाहता है?”

हर व्यक्ति एक पर्चा उठाता, उसे पढता और सहम सा जाता! एक -एक कर के सभी ने पर्चियां देख ली पर कोई भी अपनी समस्या के बदले किसी और की समस्या लेने को तैयार नहीं हुआ!

सबका यही सोचना था कि उनकी अपनी समस्या चाहे कितनी ही बड़ी क्यों न हो बाकी लोगों की समस्या जितनी गंभीर नहीं है!

दो घंटे बाद सभी अपनी-अपनी पर्ची हाथ में लिए लौटने लगे! वे खुश थे कि उनकी समस्या उतनी बड़ी भी नहीं है जितना कि वे सोचते थे!

यह हकीकत है कि ऐसा कौन होगा जिसकी जिंदगी में एक भी समस्या न हो?
हम सभी के जीवन में समस्याएं हैं लेकिन हमें भी लगता है कि सबसे बड़ी समस्या हमारी ही है पर यकीन जानिए इस दुनिया में लोगों के पास इतनी बड़ी-बड़ी समस्यायें हैं कि हमारी तो उनके सामने कुछ भी नहीं!

इसलिए, समय के सदगुरु भी यही समझाते हैं कि अगर सुख के समय में दुःख की तयारी कर लोगे तो दुःख का कोई असर नहीं होगा और जो भी अवसर मिला है – उसके लिए आभारी रहना चाहिय और हरहाल में खुशहाल जीवन जीने का प्रयास करना चाहिय! क्योंकि सुख और दुख से परे है असली आनंद – जिसे जीते-जी प्राप्त किया जा सकता है!

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