सच्चा ज्ञानी

!! सच्चा ज्ञानी !!

एक बार गुरुकुल में तीन शिष्यों की विदाई का अवसर आया तो आचार्य बहुश्रुत ने कहा कि सुबह मेरी कुटिया में आना। तुम्हारी अंतिम परीक्षा होगी।

आचार्य बहुश्रुत ने रात्रि में कुटिया के मार्ग पर कांटे बिखेर दिए।

सुबह तीनों शिष्य अपने-अपने घर से गुरु के निवास की ओर चल पड़े। मार्ग पर कांटे थे। लेकिन शिष्य भी कमजोर नहीं थे।

पहला शिष्य कांटों की चुभन के बावजूद कुटिया तक पहुंच गया।
दूसरा शिष्य कांटो से बचकर आया। फिर भी एक कांटा तो चुभ ही गया।
तीसरे शिष्य ने कांटे देखे तो कांटों की डालियों को घसीट कर दूर फेंक दिया।

फिर हाथ मुंह धोकर कुटिया तक तीनों गए।

आचार्य बहुश्रुत तीनों की गतिविधियां गौर से देख रहे थे।

तीसरा शिष्य ज्यों ही आया, त्यों ही उन्होंने कुटिया के द्वार खोल दिए और बोले- वत्स, तुम मेरी अंतिम परीक्षा में उतीर्ण हो गए हो।

गुरु ने कहा कि ज्ञान वही है जो व्यवहार में काम आए। तुम्हारा ज्ञान व्यावहारिक हो गया है। तुम संसार में रहोगे तो तुम्हें कांटे नहीं चुभेंगे और तुम दूसरों को भी चुभने नहीं दोगे।

फिर पहले और दूसरे शिष्य की ओर देखकर बोले, तुम्हारी शिक्षा अभी अधूरी है।

ज्ञानी वही है – जो ज्ञान को अपने जीवन में व्यावहारिक रूप से उपयोग में लाता हो!

🙏🙏🙏सुप्रभात 🙏🙏🙏




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