अच्छा तो ये तुम हो!

अच्छा, तो ये तुम हो !!
तुम फिर आये हो मुझे बुलाने को
मैं रहूँ किस तरह मुझे बताने को
आये हो कहने कैसे मैं देखूं इसको
यह दृश्य जो अद्भुत है कैसे निरखूं इसको
आये हो पुनः बताने, मैं कैसे परखूं
उस मधुर दिव्य अहसास में जीवन कैसे जिऊं
अच्छा, तो ये तुम हो !
मेरे प्राण, मेरे जीवन के रक्षक
ये तुम हो !!

तुम हो एक नखलिस्तान मेरे मरुस्थल में
लेकर के अपना वरद हस्त इस हृदय स्थल में
मुझे मिल जाता है जीवन में सम्पूर्ण सुरक्षण
जब विनम्र होकर तुम्हें बुलाता है मेरा मन
अच्छा, तो ये तुम हो !
मेरे प्राण, मेरे जीवन के रक्षक
ये तुम हो !!

जब विस्मृत होकर राह भटक जाते हैं
जब नौका के पतवार छिटक जाते हैं
गहराते जब तूफानी मेघ अकड़ कर
तब आते हो मुझ दीन के रक्षक बनकर
अच्छा, तो ये तुम हो !
मेरे प्राण, मेरे जीवन के रक्षक
ये तुम हो !!

सोया हूँ मोह निशा से
मुझे जगा दो, जगा दो, जगा दो!
ये रहस्य, शांति के परदे सभी
हटा दो, हटा दो , हटा दो !
खोलो कपाट इस मूक ह्रदय के,
सब संदेह मिटा दो, मिटा दो, मिटा दो!

अच्छा, तो ये तुम हो !
मेरे प्राण, मेरे जीवन के रक्षक
ये तुम हो !!

मेरे प्राण, मेरे जीवन के रक्षक
ये तुम हो !!

तुम फिर आये हो मुझे बुलाने को
मैं रहूँ किस तरह मुझे बताने को

मेरे प्राण, मेरे जीवन के रक्षक
ये तुम हो !!

मेरे प्राण, मेरे जीवन के रक्षक
ये तुम हो !!

Written by Prem Rawat



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