जब हृदय में शांति का अनुभव मनुष्य ने कर लिया तो यह मनुष्य के लिए सबसे बड़ी चीज है।

एक बक्सा है। उस बक्से के अंदर अनमोल चीज रखी है और बक्से में ताला लगा है।

पहले आप यह बात समझ लें कि यह बक्सा कौन सा बक्सा है ? मैं किस बक्से की बात कर रहा हूँ ? यह साधारण बक्सा नहीं है। जिस बक्से की मैं बात कर रहा हूँ, वह है – यह मनुष्य शरीर और इस मनुष्य शरीर में कुछ रखा हुआ है।

बाहर से एक बक्सा ऐसा है, जो साधारण है। एक बक्सा है, जो चांदी से जड़ा हुआ है। एक बक्सा है, जो सोने से जड़ा हुआ है। एक बक्सा है, जिसमें कारीगरों ने तरह-तरह का काम किया है। एक बक्सा है, जिसमें किसी ने काम नहीं किया है, कच्ची लकड़ी का बना हुआ है। कोई बात नहीं। बक्से के बाहर जो कुछ है, मैं उसकी बात नहीं कर रहा हूँ। मैं उस चीज की बात कर रहा हूँ, जो इस बक्से के अंदर है।

इस मनुष्य रूपी बक्से के बारे में भी समझ लीजिये कि इस बक्से के कुछ नियम हैं। यह बक्सा भी प्रकृति के नियमों में बंधा हुआ है। एक दिन यह बक्सा बना और एक दिन यह बक्सा नहीं रहेगा। जबतक यह बक्सा है, तबतक इसके अंदर रखी हुई चीज उपलब्ध है। जिस दिन यह बक्सा नहीं रहेगा, उस दिन वह अंदर रखी हुई चीज भी नहीं मिलेगी। पर जबतक यह बक्सा है, इसके अंदर एक ऐसी चीज रखी हुई है, जो अनमोल है। चाहे किसी ने इस पर कुर्ता पहन रखा हो या किसी ने सूट पहन रखा हो, किसी ने टाई पहन रखी हो, किसी भी तरीके से इसको सजाया हुआ हो। इस बक्से के अंदर जो चीज रखी हुई है, मेरा मतलब उससे है।

आजतक तो लोग बक्से के बाहर क्या है, इस बारे में सोचते आये हैं। बक्सा कैसा होना चाहिए, लोगों ने इसके लिए रीति-रिवाज बनाये हैं। किस तरीके से इस बक्से को रखना चाहिए ? इन्हीं नियमों को बनाते-बनाते बड़े-बड़े देश बन गए; बड़े-बड़े धर्म बन गए; बड़े-बड़े कानून बन गए – इस बक्से के कारण। अगर यह बक्सा नहीं होता तो कानून बनाने की कोई जरूरत नहीं होती, देशों की कोई जरूरत नहीं होती, इसको सजाने की कोई जरूरत नहीं होती, कोई अमीर नहीं होता और कोई गरीब नहीं होता।

बक्सा हैं आप और अनमोल चीज है आपके अंदर। अज्ञानता का ताला लगा हुआ है। ज्ञान की चाबी मेरे पास है। अगर किसी को चाहिए तो मैं उसे दे सकता हूँ। मैं बात कर रहा हूँ ‘शांति’ की, मैं बात कर रहा हूँ ‘सच्ची खुशी’ की। अगर मनुष्य को कुछ भी करना नहीं आता हो, तब भी वह अपने हृदय में उस सच्ची खुशी का अनुभव कर सके तो इतना ही पर्याप्त है! इसके बाद जब संतोष हो गया, जब हृदय में शांति का अनुभव मनुष्य ने कर लिया तो यह मनुष्य के लिए सबसे बड़ी चीज है।




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