तुम

तुम

तुम हो प्रिय मेरे विवेक, तुम ही मेरी कविता हो
तुम हो मेरे ऋतुराज वसंती, तुम ही मेरी सुषमा हो।
तुम….

मैं दरश तुम्हारा चाहूँ, नित संग तुम्हारा चाहूँ
मैं प्यार करूं हर दम तुमको, आलिंगन करना चाहूं
सच मानो प्रिय इस जीवन का, बस अंतिम सत्य तुम्हीं हो।
तुम….

मुझे नहीं चाहिए धन वैभव, वे बंगले और ये कारें
तुम मिल जाते मुझको लगता, मिल गये हैं चाँद सितारे
तुम….

मुझे चाहिए केवल दरशन, और कोमल प्यार तुम्हारा
जब मिल जायें हम प्रेमी, हो सच्चा स्वर्ग हमारा
तुम….

By Prem Rawat to his Father



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