ob_start("ob_gzhandler"); ?>
असली आराधना
एक बार श्री गुरु नानक देव जी के पास एक नवाब और काजी आये ! उन्होंने आकर गुरु जी से कहा – आप कहते है ना कि ना कोई हिन्दू और ना मुसलमान ; सब कुदरत के बन्दे हैं!
अगर आप यही मानते है कि ईश्वर एक ही है तो आज आप हमारे साथ चल कर नमाज़ पढि़ये!
गुरु जी ने कहा – ठीक है मैं आपके साथ चलता हूँ !
नमाज़ का समय हुआ तो सभी लोग नमाज़ पढ़ने लगे! नमाज़ खत्म होने पर काज़ी और नवाब गुरुजी के पास आये और कहने लगे – हम आपसे बहुत नाराज हैं क्योंकि हम जानते है कि आपने हमारे साथ नमाज नहीं पढ़ी!
गुरु जी उनकी बात को धीरज से सुनते रहे और फिर उन्होंने कहा – काजी साहब, मैं नमाज़ किसके साथ पढ़ता ; आप तो यहाँ थे ही नही?
काजी गुस्से में बोला – क्या बात करते हैं ; मैं यही पर आपके सामने नमाज़ पढ़ रहा था!
गुरु जी ने उत्तर दिया – यहाँ तो सिर्फ आपका शरीर था पर आपका मन तो अपने घर में था फिर भला मैं आपके साथ नमाज़ कैसे पढ़ता?
काजी ने कहा चलिये ठीक है मैं मानता हूँ कि मेरा ध्यान यहाँ नहीं बल्कि अपने घर में था पर नवाब साहब तो यहाँ थे आप इनके साथ नमाज़ पढ़ लेते?
गुरु जी ने कहा – *नवाब साहब भी यहाँ कहाँ थे ; वो तो हिन्दुस्तान के भी बाहर जाकर काबुल में घोड़े खरीद रहे थे!
मेरा मतलब है कि नमाज़ के समय उनका ध्यान काबुल के घोड़ो में था!
काजी और नवाब अपनी बात पर शर्मिंदा हुए – तब गुरु जी ने उनको समझाया कि केवल शरीर से पूजा या नमाज़ पढ़ने से सही रूप से आराधना नहीं होती !
असली आराधना तो तब होती है जब आप पूरे मन से एकाग्र होकर ईश्वर की आराधना करें चाहे किसी के भी आगे करें पर पहले अपने मन को प्रभु के चरणों में जोड़ना चाहिये!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏
ये मत कहो खुदा से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
इन मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है
आती हैं आंधियां तो कर उनका खैर मकदम
तूफां से ही तो लड़ने खुदा ने तुझे गढ़ा है
ये मत कहो प्रभु से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
इन मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है
अग्नि में तप के सोना है और भी निखरता
दुर्गम को पार कर के हिमालय कोई चढ़ाए
लाएगी रंग मेहनत आखिर तुम्हारी इकदिन
होगा विशाल तरुवर,वो बीज जो पड़ा है
ये मत कहो खुदा से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
इन मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है
वो सर्व शक्तियों से जब साथ है हमारे
हर काम उसके रहते हरदम हुआ पड़ा है
कभी हारना ना,हिम्मत के कदम बढ़ाओ
हज़ारों कदम बढ़ाने वो सामने खड़ा है
ये मत कहो खुदा से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
इन मुश्किलों से कह दो मेरा खुदा बड़ा है
ये मत कहो प्रभु से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
इन मुश्किलों से कह दो मेरा प्रभु बड़ा है
आती हैं आंधियां तो कर उनका खैर मकदम
तूफां से ही तो लड़ने प्रभु ने तुझे गढ़ा है
ये मत कहो प्रभु से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
इन मुश्किलों से कह दो मेरा प्रभु बड़ा है
अग्नि में तप के सोना है और भी निखरता
दुर्गम को पार कर के हिमालय कोई चढ़ाए
लाएगी रंग मेहनत आखिर तुम्हारी इकदिन
होगा विशाल तरुवर,वो बीज जो पड़ा है
ये मत कहो प्रभु से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
इन मुश्किलों से कह दो मेरा प्रभु बड़ा है
वो सर्व शक्तियों से जब साथ है हमारे
हर काम उसके रहते हरदम हुआ पड़ा है
कभी हारना ना,हिम्मत के कदम बढ़ाओ
हज़ारों कदम बढ़ाने वो सामने खड़ा है
ये मत कहो प्रभु से मेरी मुश्किलें बड़ी हैं
इन मुश्किलों से कह दो मेरा प्रभु बड़ा है
Senior DotNet Developer | Posted On: 13/01/2023 |
Company: | Rashi Infomedia Marketing Private Limited |
Location: | Gurugram (Gurgaon);Haryana |
Salary: | 720000 – 1200000 (per annum) |
Skill Required: | web,Coding,DotNet Coding |
Last Date to Apply: | 01/03/2023 |
Job Description: | Developing web services & API integration in different Architecture Parsing Json and xml into Database formats Creating High security authentication process management DotNet Coding and integration testing for application modules with minimum supervision Work closely with the Manager to ensure the product is evolving according to requirement Define and implement best coding practices Proactively keep a tab on emerging technologies evangelize and lead adoption throughout the team Should have passion to learn new technologies and keep updated with growing trends and industry practices |
जब कोई इंसान इस दुनिया से विदा हो जाता है तो उसके कपड़े और उसके बिस्तर आदि उसी के साथ तुरन्त घर से निकाल दिये जाते हैं।
पर कभी कोई उसके द्वारा कमाया गया धन-दौलत-प्रोपर्टी आदि इन सबको नहीं छोड़ता? यहां तक कि मरे हुए के शरीर से कीमती चीजें चुपके से निकालकर जेब में डाल लेते हैं।
इससे पता चलता है कि आखिर रिश्ता किन चीजों से था?… और असली रिश्ता क्या है… जो जाने वाले के साथ जाती है?
हाड़ जले ज्यूँ लाकड़ी, केश जले ज्यूँ घास।
कंचन जैसी काया जल गई, कोई न आया पास।।
फिर भी
इस अटल सत्य को बोध होने के बावजूद, आज का इंसान मेरा मेरी के चक्कर में उलझा रहता है और अपनों से ही छल करता रहता है और परमात्मा द्वारा दिए इस जीवन रुपी उपहार का असली आनन्द लेने से वंचित रह जाता है!
🙏🙏🙏🙏🙏🙏🙏
You must be logged in to post a comment.