Aditya did Surya Namaskar

Aditya did surya namaskar

आदित्य ने किया सूर्य नमस्कार

बेंगलुरु, एजेंसी। देश का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल-1 शनिवार को अपनी मंजिल लैंग्रेज प्वाइंट-1 पर पहुंच गया। इस सफलता के साथ ही भारत अमेरिका, जापान सहित उन चंद देशों में शामिल हो गया, जिन्होंने सूर्य पर शोध के लिए अपना थान भेजने में सफलता पाई है।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन ने बताया कि सूर्ययान ने इस बिंदु तक पहुंचने के लिए 126 दिन में 15 लाख किलोमीटर दूरी तय की। श्रीहरिकोटा से इस यान को पिछले वर्ष दो सितंबर को रवाना किया गया था। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि आदित्य एल-1 लैंग्रेज प्वाइंट-1 पर हॉलो आर्बिट में स्थापित हो गया है। हॉलो ऑर्बिट में पहुंचाने के बीच यान हाई ऑर्बिट में जाने की कोशिश कर रहा था। वैज्ञानिकों द्वारा कई सुधार के बाद यान गंतव्य तक पहुंचा है। इस दौरान इसकी गति 31 मीटर प्रति सेकंड थी।

क्या होता है हॉलो ऑर्बिटः सोमनाथ ने बताया कि हॉलो ऑर्बिट अंतरिक्ष में कक्षा होती है, जो एल-1 बिंदु के चारों ओर घूमती है। इसका आकार एक आयाम में छह लाख और दूसरे में एक लाख किलोमीटर होता है। ये अंडे की तरह होता है।

चार पे लोड रखेंगे नजरः इसरो के अनुसार, आदित्य एल-1 में कुल सात पे-लोड लगे हैं। इसमें से चार पे-लोड ऐसे हैं, जो सीधे सूर्य को देखने का काम करेंगे। अन्य तीन पे-लोड लैंग्रेज प्वाइंट से जुड़ी जानकारी का अध्ययन करेंगे। मिशन में लगे पे-लोड सूर्य की हर गतिविधि के बारे में जानकारी साझा करेंगे, जिससे सूर्य को नए सिरे से समझने में मदद मिलेगी।

कुल पांच लैंग्रेज प्वाइंटः इसरो के अनुसार पृथ्वी और सूर्य के बीच कुल पांच लैंग्रेज प्वाइंट हैं। लैंग्रेज प्वाइंट 1 पृथ्वी और सूर्य के बीच स्थित एक बिंदु है। यहां पर कोई भी उपग्रह ग्रहों, तारों या अंतरिक्षीय वस्तु के गुरुत्वाकर्षण से बची रहती है। पृथ्वी से एल-1 की दूरी पृथ्वी और सूर्य की दूरी का सिर्फ एक फीसदी है। अंतरिक्ष वैज्ञानिकों का कहना है कि ये प्वाइंट यान के ईंधन उपभोग को कम करने में मददगार हैं। इससे यान अपनी पोजीशन में लंबे समय रह सकता है।

Bengaluru, Agency. The country’s first sun mission Aditya L-1 reached its destination Langres Point-1 on Saturday. With this success, India has joined those few countries including America and Japan, which have been successful in sending their satellites for research on the Sun.

Indian Space Research Organization said that Suryaan covered a distance of 15 lakh kilometers in 126 days to reach this point. This vehicle was launched from Sriharikota on September 2 last year. ISRO chief S Somnath said that Aditya L-1 has been installed in the hollow orbit at Langres Point-1. While reaching the hollow orbit, the vehicle was trying to reach the high orbit. The spacecraft has reached its destination after several improvements by scientists. During this time its speed was 31 meters per second.

What is Hollow Orbit: Somnath told that Hollow Orbit is an orbit in space, which revolves around the L-1 point. Its size is six lakh kilometers in one dimension and one lakh kilometers in the other. It is like an egg.

Will keep an eye on four payloads: According to ISRO, a total of seven payloads are installed in Aditya L-1. Out of these, there are four payloads which will work to look directly at the Sun. The other three payloads will study information related to Langres points. The payloads in the mission will share information about every activity of the Sun, which will help in understanding the Sun in a new way.

Total five Langres points: According to ISRO, there are total five Langres points between the Earth and the Sun. Langres Point 1 is a point located between the Earth and the Sun. Here any satellite is saved from the gravity of planets, stars or space objects. The distance of L-1 from Earth is only one percent of the distance between Earth and the Sun. Space scientists say that these points are helpful in reducing the fuel consumption of the vehicle. With this, the vehicle can remain in its position for a long time.


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