in Spritual
The one who has assumed the body has to experience both happiness and sorrow.
जिसने शरीर धारण किया है उसे सुख-दु:ख दोनों का ही अनुभव करना होगा। शरीर धारियों को केवल सुख ही सुख या केवल दु:ख कभी प्राप्त नहीं हो सकता! जब यही बात है कि शरीर धारण करने पर सुख-दु:ख दोनों का ही भोग करना है तो फिर दु:ख में अधिक उद्विग्न क्यों हुआ जाय?दुख-सु:ख तो शरीर […]
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