बे हिसाब इच्छाएं न पालिए..
जो मिला है पहले उसे सम्भालिए।
एक सिद्ध महात्मा के दर्शन करने पहुंचे एक गरीब दम्पत्ति ने देखा कि कूडे के ढेर पर सोने का चिराग पड़ा हुआ है।
दंपत्ति ने महात्मा से पूछा तो महात्मा ने बताया कि ये तीन इच्छायें पूरी करने वाला बेकार चिराग है।
बहुत खतरनाक भी है, जो इसको उठाकर ले जाता है वापस यहीं कूड़े में फेंक जाता है।
गरीब दम्पत्ति ने जाते समय वो चिराग उठा लिया और घर पहुंचकर उससे तीन वरदान मांगने के बैठ गये।
दम्पत्ति गरीब थे और उन्होंने सबसे पहले दस लाख रूपये मांगकर चिराग की जांच करने की सोची।
जैसे ही उन्होंने रूपये मांगे तभी दरवाजे पर दस्तक हुयी जाकर दरवाजा खोला तो एक आदमी ने रूपये से भरा बैग और एक लिफाफा थमा गया।
लिफाफे में एक पत्र था जिसमे लिखा हुआ था कि मेरी कार से टकराकर आपके पुत्र की मृत्यु हो गयी है – जिसके पश्चात्ताप स्वरूप ये दस लाख रूपये भेज रहा हूँ! मुझे माफ़ करियेगा।
अब दम्पत्ति को काटो तो खून नही पत्नी दहाड़े मारकर रोने लगी।
तभी पति को ख्याल आया और उसने चिराग से दूसरी इच्छा बोल दी कि उसका बेटा वापस आ जाये ।
थोड़ी देर बाद दरवाजे पर दस्तक हुई और पूरे घर में अजीब सी आवाजें आने लगीं घर के बल्ब तेजी से जलने बुझने लगे – उसका बेटा प्रेत बनकर वापस आ गया था ।
दम्पत्ति ने प्रेतरूप देखा तो बुरी तरह डर गयेऔर हड़बड़ी में चिराग से तीसरी इच्छा के रूप में प्रेत रूपी पुत्र की मुक्ति मांग कर दी। बेटे की मुक्ति के बाद रातों रात वो आश्रम पहुंचे और चिराग को कूड़े के ढेर पर फेंककर दुखी मन से वापस लौट आये।
हम सभी अपनी जिंदगी में उस दम्पत्ति की तरह हैं! हमारी भी इच्छायें बेहिसाब हैं! जब एक इच्छा पूरी होती है तो दूसरी सताने लगती है और जब दूसरी पूरी हो जाये तो तीसरी।
इसलिए ईश्वर ने हमें जो भी दिया है – उसमे संतुष्ट रहना चाहिये और सफलता के लिऐ कभी जल्दबाजी नहीं अपनाना चाहिए।क्योकि सफलता केवल संघर्ष से ही मिलती है!
🙏🏽🙏🏾सुप्रभात 🙏🙏🏻