God’s mercy is showering on all of us equally.

परमात्मा की दया हम सब पर एक समान ही बरस रही है,
न किसी पर कम न किसी पर ज्यादा!!

उस परम पिता के लिये हम सभी इंसान एक समान ही हैं।
कहा है न –
(एक नूर ते सभु जगु उपजिया कौन भले को मंदे)

जब खेलते समय सभी बच्चे खेलने में मस्त हो जाते हैं तो उनके मां-बाप उन्हें देखकर मुस्कराते हैं, खुस रहते हैं।

पर अगर कोई बच्चा मां-बाप को देखकर खेलते हुए भी या खेल छोड़कर अपने माता पिता को पुकारे तो मां-बाप भी उससे बात करने के लिये आगे आते हैं!

हालाकि उनकी नजर तो उन सब पर पहले से ही थी, पर देरी तो सिर्फ पुकार की थी।

ऐसे ही जब तक हमारी पुकार न हो तब तक वह परम पिता परमात्मा हमसे बात नहीं करता। बेशक उसकी दया भरी दृष्टि हम पर रहती ही है।

अब प्रश्न ये है कि यह पुकार क्या है और परमात्मा की हमसे बात क्या और कैसे होती है?

यह पुकार है सुमिरन भजन जो अन्दर से होती है और अन्दर में ही होती है! क्योंकि हमारा वह अविनाशी हमारे ही अन्दर बैठा है!

उस अन्दर की आवाज़ को सुनने की विधि जो बताते हैं – उनको ही सच्चा मार्गदर्शक सद्गुरु कहा जाता है!

यह पुकार भी जुबानी नहीं बल्कि आत्मिक होती है – जो सीधे दिल से निकलती है और परमात्मा तक पहुंचती है।

इसे ही समय के सद्गुरु ने स्वयं की आवाज़ कहा है – जो असली आंतरिक पुकार है!
जय सच्चिदानन्द 🙏🏼



Leave a Reply