सीतामढ़ी में नौ दिन – चलेंगे कार्यक्रम
भदोही। अवध में राममंदिर में प्राण- प्रतिष्ठा की तैयारियां चरम पर हैं तो वहीं सीता समाहित स्थल (सीतामढ़ी) भी भव्य समारोह को तत्पर है। उधर जब ‘अवधपति’ की प्राण प्रतिष्ठा हो रही होगी, ‘वैदेही’ यहां दुल्हन के शृंगार में होंगी। मंदिर प्रबंधन इसके लिए जुटा है। यहां नौ दिनों कार्यक्रम की तैयारी है।
पौराणिक मान्यताओं में सीतामढ़ी में ही निर्वासन के दौरान मां जानकी धरती में समा गईं थीं। यहीं पर वाल्मिकी आश्रम में लव-कुश कुमारों का जन्म हुआ। वाल्मीकि ने यहीं पर रामायण की रचना की थी। गोस्वामी तुलसीदास ने 500 साल पहले कवितावली में इस स्थान का जिक्र किया है।
Bhadohi. While preparations for the consecration of the Ram temple in Awadh are at their peak, the place where Sita resides (Sitamarhi) is also ready for a grand ceremony. On the other hand, when ‘Avadhapati’ is being consecrated, ‘Vaidehi’ will be here adorning the bride. The temple management is busy for this. There is preparation for the program here for nine days.
According to mythological beliefs, Mother Janaki had disappeared into the earth during her exile in Sitamarhi itself. It was here in Valmiki Ashram that Luv-Kush Kumar were born. Valmiki composed Ramayana here. Goswami Tulsidas has mentioned this place in his poetry 500 years ago.
Discover more from Soa Technology | Aditya Website Development Designing Company
Subscribe to get the latest posts sent to your email.