पटरी पर सामने खड़े इंजन से 300 मीटर पहले लगी ऑटोमेटिक ब्रेक
दक्षिण मध्य रेलवे के लोको पायलट जी एच प्रसाद को शुक्रवार का दिन जीवन भर याद रहेगा।
वह ट्रेन के इंजन में रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव और रेलवे के वरिष्ठ अधिकारियों को बिठाकर 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार पर हैदराबाद से मुंबई रेलवे मार्ग पर तेजी से बढ़े जा रहे थे।
मगर जिस पटरी पर यह ट्रेन चल रही थी उसी पर गलागुड्डा सेक्शन के पास एक दूसरी ट्रेन का इंजन खड़ा था। पर लोको पायलट को ब्रेक नहीं लगाने के निर्देश हैं। दूसरी ट्रेन के इंजन से 300 मीटर पहले ही कवच प्रणाली में इस ट्रेन में ऑटोमेटिक ब्रेक लगा दी। यह देख कर लोको पायलट की जान में जान आई। उनके मुंह से निकला ट्रेन की टक्कर नहीं हुई, यानी कवच सफल रहा।
हादसे रोकने में मदद मिलेगी
टेलीकॉम इंजीनियर प्रिया ने रेल मंत्री से कहा कि यह प्रणाली 60,000 से अधिक लोको पायलट के लिए एक तोहफा है। अश्विनी वैष्णव ने बताया कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत कवच तकनीक का विकास किया गया है। यह तकनीक ट्रेन की टक्कर होने की घटनाएं रोकेगी। इस प्रणाली के तहत रेलवे क्रॉसिंग पर ऑटोमेटिक हरण बजेगा वेस्टेड कम होगी इंजन के भीतर ही 2 से 3 किलोमीटर सिग्नल को देखा जा सकेगा।
यूरोपियन तकनीक से सस्ती है यह प्रणाली
यूरोपियन तकनीक में एक से डेढ़ करोड़ रुपए प्रति किलोमीटर के खर्च आता है कोमा जबकि कवच में 40 से 50 लाख रुपए प्रति किलो मीटर का खर्च आएगा। 180 किलोमीटर की रफ्तार पर कवच सफल रहा।
कवच की विशेषताएं
- ओवरस्पीडिंग को रोकने के लिए प्रातः ब्रेक लग जाती है
- समपार फाटक के पास पहुंचते समय स्वता सिटी बस जाएगी
- सिग्नल खतरे की स्थिति में पार करने से रोकेगा
- आपात स्थिति के दौरान एसओएस संदेश भेजेंगा
- नेटवर्क मॉनिटर प्रणाली से ट्रेन परिचालन की केंद्रीकृत जीवंत निगरानी हो सकेगी
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