जिस भी मनुष्य का स्वांस चला जाता है उसका सबकुछ खत्म हो जाता है ।
सारे जीवन मनुष्य और सारी चीजों पर ध्यान देता है, रखता है पर अपनी स्वांस पर कभी ध्यान वो नहीं देता है।
जिस स्वांस की वजह से मनुष्य इस जीवन के अस्तित्व में है और सबकुछ है।
सबसे पहले वो उसी को बिसरा देता है, भूल जाता है।
ऐसी स्थिति में मनुष्य का कल्याण कैसे संभव है?
मनुष्य को स्वांस का ध्यान आता कब है जब उसका जाने लगता है तब उसको ख्याल आता है कि अरे बाप रे बाप अब क्या होगा, ये तो जा रहा है!
तब वह घबराता है, रोता है, पछताता है कि जिस स्वांस पर मुझे ध्यान देना चाहिए था उसको तो मैं भूल ही गया!
और अपनी पूरी की पूरी शक्ति लगा देता है कि एक और मिल जाय पर ना भाई ना और अब नहीं, अब तुम्हारा समय समाप्त!
स्वांस का कानून ही यही है भाई चाहे कोई भी हो चाहे राजा हो या भिखारी ये किसी को नहीं जानता है ।
स्वांस का भी अपना एक अटल कानून है कि ये जबतक आता है तो आता है जब जाता है तो जाता है फिर संसार कि कोई भी ताकत इसको वापस नहीं बुला सकती है, इसके साथ किसी की भी सिफारिश काम नहीं आती है ।इसके मामले में किसी भी रिश्वत का आदान-प्रदान नहीं होता है, ये पूर्णतया ईमानदार है ।
इसलिए,
शुक्रगुजार रहें। सकारात्मक रहें, सच्चे रहें! सच्चाई को समझें।
- Prem Rawat
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