This program was conducted by Shri Dr. Vipin Kumar, General Secretary of Vishwa Hindi Parishad.
विश्व हिंदी परिषद नई दिल्ली द्वारा आयोजित राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर की 115वीं जयंती के अवसर पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन 2023 का आयोजन दिल्ली के ‘विज्ञान भवन’ में सफलतापूर्वक संपन्न. हुआ। जिसमें देश की जानी-मानी हस्तियों ने राष्ट्र कभी दिन करके व्यक्तित्व और कृतित्व को याद किया। किसके साथ हिंदी के व्यापक विचार प्रसाद पर जो दिया गया।
विज्ञान भवन में दिनांक 20 व 21 सितंबर को विश्व हिंदी परिषद द्वारा आयोजित अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन में भारतवर्ष के विभिन्न भागों से तथा बाहर के कुछ देशों से प्रतिनिधियों को प्रेम रावत जी का वीडियो दिखाया गया साथ ही उन्हें करीब 400 लीफलेट (शांति संभव है ) तथा प्रेम रावत जी द्वारा लिखित पुस्तक स्वयं की आवाज की 25 प्रति अलग-अलग संस्थाओं से आई उनके प्रतिनिधियों को भेंट की गई । इस कार्यक्रम में करीब 20 स्वयंसेवकों ने मिलकर अपना सहयोग दिया तथा कार्यक्रम के दूसरे दिन यानी 21 सितंबर को अंजन टीवी की टीम द्वारा भी कार्यक्रम की कवरेज की गई ।
Prem Rawat – International Peace Speaker
इस कार्यक्रम में गृह राज्य मंत्री गृह मंत्रालय श्री अजय कुमार मिश्र, हरियाणा के राज्यपाल आचार्य लक्ष्मण प्रसाद तथा सिक्किम की राज्यपाल अनुसुइया उइके, विभिन्न क्षेत्रों के हिंदी विभाग के अध्यक्ष भी शामिल हुए । इस कार्यक्रम को विश्व हिंदी परिषद के महासचिव श्री डॉ विपिन कुमार द्वारा संचालित किया गया ।
दिनकर राष्ट्रवादी चेतना के उत्कृष्ट कवि,-गृह राज्य मंत्री अजय मिश्रा
सम्मेलन में प्रथम दिवस पर उद्घाटन सत्र में उद्घाटनकर्ता गृह मंत्रालय के राज्य मंत्री श्री अजय कुमार मिश्र ने दिनकर जी की अनेक कालजयी रचनाओं को उद्धृत करते हुए कहा कि दिनकर जी राष्ट्रवादी चेतना के एक उत्कृष्ट कवि ही नहीं, बल्कि उच्च कोटि के राजनीतिज्ञ भी थे। उनकी कविताओं ने न केवल हिंदी भाषा को समृद्ध बनाया है बल्कि हरेक वर्ग और हर पीढ़ी के लिए उनकी कविताएं, उनका सृजन एक आदर्श हैं ।इस अवसर पर आरंभ में विश्व हिंदी परिषद के महासचिव डॉ.विपिन कुमार ने दिनकर जी के महान व्यक्तित्व का स्मरण करते हुए कहा कि परिषद का इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के आयोजन के पीछे हिंदी भाषा व हिंदी सेवियों के मध्य एक मजबूत पुल खड़ा करना है। इस प्रकार के अंतरराष्ट्रीय राजभाषा सम्मेलन में आलेख प्रकाशन, वाचन, कवि सम्मेलन, सम्मान के अलग-अलग प्रकल्पों के साथ हिंदी भाषा को संवैधानिक रूप से राष्ट्रभाषा बनाने के प्रति एक रचनात्मक व वैचारिक वातावरण खड़ा करने का भी परिषद का मूल उद्देश्य है।इस अवसर पर ‘आज तक’ हिन्दी समाचार चैनल के संपादक और ब्लैक एंड व्हाइट शो के मेज़बान सुधीर चौधरी ने बतौर अतिथि अपने वक्तव्य में कहा की राष्ट्रभाषा हिंदी की गरिमा और संरक्षण को बनाए रखने के लिए विश्व हिंदी परिषद जैसी लोक मंगल व सर्व कल्याण कारी संस्थाएं समर्थ और सक्रिय रूप से जो कार्य कर रही हैं वह हिन्दी के लिए बहुत ही श्रेष्ठ, सकारात्मक स्तुत्य प्रयास है। । उद्घाटन सत्र में जहानाबाद के पूर्व सांसद अरुण कुमार, विधान पार्षद शर्वेश कुमार, एन आइ ओ एएस के अध्यक्ष , विदुषी डॉ. सरोज शर्मा तथा इस उपभोक्ता मामलों खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अपर सचिव श्री शांतमनु ने भी अपने विचार रखे। सभी अतिथियों ने दिनकर जी के जीवन व उनके ओजस्वी कविताओं में उन्हें क्रांति व शांति का अमर दूत बताते हुए कहा कि दिनकर जी हिंदी साहित्य के वह सूरज हैं जिनका उजास हिंदी साहित्य नहीं हमारे समाज, संस्कृति और देश की देहरी को एक सदी से आलोकित कर रहा है और आगे भी करेगा।
हिंदी भारतीय संस्कृति और सभ्यता की परिचायक-राज्यपाल अनसूया उइके
इस मौके पर भारतीय साहित्य में दिनकर के योगदानों पर प्रकाश डालते हुए मणिपुर की महामहिम राज्यपाल सुश्री अनसूया उइके ने कहा कि हिंदी भाषा भारतीय संस्कृति और सभ्यता की परिचायक है, जो हमारे जीवन मूल्य, संस्कृति संस्कारों की सच्ची संवाहक और संप्रेषण भी है। उन्होंने कहा कि हिंदी एक ऐसी मीठी, मृदुल, वैज्ञानिक भाषा भी है जो हमारे पारंपरिक ज्ञान, सांस्कृतिक धरोहर और आधुनिक प्रगति के बीच का सेतु है और हिंदी आम आदमी की भाषा के रूप में हमारे विशाल देश भारत की एकता का सूत्र भी है। हिन्दी को मिल जुलकर हमें हर दृष्टि से सर्वत्र सर्वोपरि बनाए रखना चाहिए। उन्होंने हिन्दी को सर्वोत्कृष्ठ व सार्वभौमिक भाषा बताते हुए कहा कि हिंदी भाषा की समृद्धि और प्रचार प्रसार के लिए विश्व हिंदी परिषद द्वारा आयोजित इस तरह के उत्कृष्ट व विराट कार्यक्रम जगह-जगह होने चाहिए। उन्होंने कहा कि मुझे हिंदी भाषा से बहुत अधिक प्रेम है अतः मैं स्वयं राज भवन में आने वाले किसी भी आगंतुक से मिलने से पहले शर्त रखती हूं कि मुझ से हिंदी में ही बात की जाए।
हिंदी भाषा ही नहीं बल्कि भावों की अभिव्यक्ति भी-श्री चिदानन्द सरस्वती
कार्यक्रम के अध्यक्ष ‘मुनि की रेती’ ऋषिकेश स्थित परमार्थ निकेतन आश्रम के अध्यक्ष स्वामी श्री चिदानन्द सरस्वती जो हिन्दू आध्यात्मिक गुरू एवं भारतीय संस्कृति शोध प्रतिष्ठान, ऋषिकेश तथा पिट्सबर्ग के हिन्दू-जैन मन्दिर के भी संस्थापक एवं अध्यक्ष हैं। उन्होंने आगंतुक साहित्यकारों और पत्रकारों को अपने उद्बोधन में कहा कि हिन्दी केवल भाषा नहीं, भावों की अभिव्यक्ति है, यह मातृभूमि पर मर मिटने की भक्ति है। हिन्दी हमारी जननी है और हिन्दी से ही हमारी पहचान भी है। स्वामी जी ने राष्ट्रपति राष्ट्रकवि दिनकर जी को याद करते हुए कहा कि वे महान हिन्दी के तेजस्वी राष्ट्रवादी कवि थे, उनकी कविताओं में हिंदी भाषा का जो स्वरूप है उसमें पूर्व से ही विकास और प्रसार की अपार संभावनाएं नज़र आती हैं। हिन्दी का सम्मान, हिन्द का सम्मान है।
दिनकर की कविताएं जनमानस के प्रेरणा का स्रोत-राज्यपाल लक्ष्मण कुमार आचार्य
राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर जी की 115वीं जयंती पर विश्व हिन्दी परिषद द्वारा दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय हिंदी सम्मेलन के दूसरे दिन समापन समारोह में सिक्किम के राज्यपाल लक्ष्मण कुमार आचार्य ने कहा कि राष्ट्रकवि श्री दिनकर एक ऐसे कवि थे जो मानव मात्र के दु:ख- दर्द और पीड़ा को शिद्दत से महसूस करते थे, जिनके लिए राष्ट्र सिर्फ़ सर्वोपरि था। जिनकी कालजयी हुंकार भरती हुई ओजस्वी कविताएं एक साधारण किसान, एक श्रमिक से लेकर किसी स्कॉलर छात्र तक के लिए एक प्रेरणा का स्रोत रही हैं। विशिष्ट अतिथि साध्वी भगवती सरस्वती जी ( परमार्थ निकेतन निकेतन आश्रम, ऋषिकेश ने बताया की अक्सर लोग उनसे हिन्दी में बात करने पर अंग्रेज़ी में प्रतिक्रिया देते हैं। जबकि मैं अमेरिका से जब भारत में आई तब से लोगों से बातचीत करते-करते मैंने मेहनत से हिंदी सीखी है।
दिनकर अमरजोत है-इंद्रेश
इस अवसर पर संघ के प्रचारक राष्ट्रीय मुस्लिम मंच के सलाहकार श्री इन्द्रेश कुमार ने कहा कि हिंदी साहचर्य सौहार्द ,भातृत्व भाव से भरी भाषा है और इसे राष्ट्रभाषा का दर्जा दिलाने से पहले हमें अपने परिवारों में स्थाई रूप से अपनाना होगा। अतः ईश्वर की देन को कभी हीन नहीं मानना चाहिए। हमें स्वभाषा स्वदेश पर भी स्वाभिमान होना चाहिए।
उन्होंने कहा “देश प्रेम प्रथम देश प्रेम सतत्” जीवन का सार तत्व है। दिनकर जी को याद करते हुए उन्होंने कहा कि हमारे देश का सौभाग्य है की वसुधैव कुटुंबकम की भावना के स्त्रोत ओजस्वी और राष्ट्रवादी कविताओं को लिखने वाले दिनकर जी एक अमरजोत हैं जिनकी ज्योति हमेशा हमारे हृदय में रहेगी।
इस समारोह में केंद्रीय राज्य मंत्री श्री एसपी सिंह बघेल ने अपने जीवन अनुभवों को बताते हुए दिनकर जी की ऊर्जावान कविताओं का उदाहरण देते हुए अपने भाषण में कहा कि हमें वर्तमान में हिंदी को सहेजने और संभालने की ज़रूरत है।
समापन समारोह में नागालैंड के ग्लोबल विश्वविद्यालय कुलाधिपति प्रियरंजन त्रिवेदी व प्रो. सच्चिदानंद मिश्र भी मंचासीन थे। नीदरलैंड की लेखिका पुष्पिता अवस्थी एवं मारीशस की लेखिका कल्पना लाल ने भी अपने-अपने देश में हिंदी के प्रति हो रहे कार्यों की चर्चा की। विश्व हिंदी परिषद की स्मारिका 2023 का लोकार्पण अतिथियों ने किया। पुष्पिता अवस्थी जी की दो किताबों का भी विमोचन अतिथियों ने किया। समापन समारोह का संचालन राष्ट्रीय समन्वय डॉ. शकुंतला सरूपरिया ने किया धन्यवाद ज्ञापन दिल्ली विश्वविद्यालय के प्रो. श्री दीनदयाल मे की।
इनको मिला सम्मान
इस कार्यक्रम में राज्यपाल -सुश्री अनसूईया उईके,स्वामी श्री चिदानंद सरस्वती जी ने उल्लेखनीय साहित्य एवं पत्रकारिता के क्षेत्र उत्कृष्ट कार्य करने हेतु विशिष्ट जनों का सम्मान किया। जिनमें आजतक के मशहूर सलाहकार संपादक सुधीर चौधरी, पंजाब केसरी की सीईओ किरण चौपड़ा, अमर उजाला के संपादक श्री उदय कुमार सिन्हा, दैनिक जागरण के ऑनलाईन सम्पादक कमलेश, मोरीशस- की कवयित्री व लेखिका कल्पना लाल, नीदर लैंड की लेखिका एवं कवयित्री -पुष्पिता अवस्थी,राष्ट्रवादी कवि व पूर्व सांसद श्री ओमपाल सिंह लीडर डॉ. कीर्ति काले, हिंदी प्रोफेसर स्वाति पाल, लंदन से आईं सिम्मी राठौर-सोशल मीडिया इनफ्लुएंसर आदि शामिल थे। सभी को शाॅल,स्मृति चिन्ह भेट कर सम्मानित किया गया ।
source : Bharat Varta desk
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