विश्वसम फल दायकम

किसी गांँव में राम जी भाई नाम का एक नवयुवक रहता था। वह बहुत मेहनती था,पर हमेशा अपने मन में एक शंका लिए रहता था कि वो अपने कार्य क्षेत्र में सफल होगा या नहीं! कभी-कभी वो इसी चिन्ता के कारण आवेश में आ जाता और दूसरों पर क्रोधित भी हो उठता।_

एक दिन उसके गांँव में एक प्रसिद्ध महात्मा जी का आगमन हुआ। खबर मिलते ही राम जी भाई,महात्मा जी से मिलने पहुंँचा और बोला, “महात्मा जी मैं कड़ी मेहनत करता हूंँ, सफलता पाने के लिए हर-एक प्रयत्न करता हूंँ पर फिर भी मुझे सफलता नहीं मिलती।कृपया आप ही कुछ उपाय बतायें!

महात्मा जी ने मुस्कुराते हुए कहा, रामजी भाई, तुम्हारी समस्या का समाधान इस चमत्कारी ताबीज में है! मैंने इसके अन्दर कुछ मन्त्र लिख कर डाले हैं जो तुम्हारी हर बाधा दूर कर देंगे। लेकिन इसे सिद्ध करने के लिए तुम्हें एक रात श्मशान घाट में अकेले गुजारनी होगी!”

श्मशान घाट का नाम सुनते ही रामजी भाई का चेहरा पीला पड़ गया।
“लल्ल..ल..लेकिन मैं रात भर अकेले कैसे रहूँगा”…, राम जी भाई काँपते हुए बोला।”
घबराओ मत यह कोई मामूली ताबीज नहीं है! यह हर संकट से तुम्हें बचाएगा! महात्मा जी ने समझाया।_*

रामजी भाई ने पूरी रात श्मशान घाट में बिताई और सुबह होते ही महात्मा जी के पास जा पहुंँचा, “हे महात्मन्!आप महान हैं! सचमुच ये ताबीज दिव्य है! वर्ना मेरा जैसा डरपोक व्यक्ति रात बिताना तो दूर, श्मशान घाट के करीब भी नहीं जा सकता था। निश्चय ही अब मैं सफलता प्राप्त कर सकता हूं!

इस घटना के बाद राम जी भाई बिल्कुल बदल गया! अब वह जो भी करता उसे विश्वास होता कि ताबीज की शक्ति के कारण वह उसमें सफल होगा और धीरे-धीरे यही हुआ भी! वह गांँव के सबसे सफल लोगों में गिना जाने लगा।

इस घटना के करीब एक साल बाद फिर वही महात्मा गांँव में पधारे। रामजी भाई तुरन्त उनके दर्शन करने को गया और उनके दिया गया चमत्कारी ताबीज का गुणगान करने लगा। तब महात्मा जी बोले, रामजी भाई! जरा अपनी ताबीज निकाल कर देना। उन्होंने ताबीज हाथ में दे लिया,और उसे खोला। उसे खोलते ही रामजी भाई का होश उड़ गया। जब उसने देखा कि ताबीज के अन्दर कोई मन्त्र तन्त्र नहीं लिखा हुआ था! वह तो धातु का एक टुकड़ा मात्र था!

रामजी भाई बोला, “ये क्या महात्मा जी! ये तो एक मामूली ताबीज है, फिर इसने मुझे सफलता कैसे दिलाई?”
महात्मा जी ने समझाते हुए कहा- सही कहा तुमने, तुम्हें सफलता इस ताबीज से नहीं बल्कि तुम्हारे विश्वास की शक्ति ने दिलाई है।रामजी भाई!

हम इन्सानों को भगवान ने एक विशेष शक्ति (चेतन शक्ति) देकर भेजा है। वो है- आत्मा के विश्वास की शक्ति।

तुम अपने कार्य क्षेत्र में इसलिए सफल नहीं हो पा रहे थे क्योंकि तुम्हें खुद पर विश्वास नहीं था!

लेकिन जब इस ताबीज की वजह से तुम्हारे अन्दर वो विश्वास पैदा हो गया तो तुम सफल होते चले गये।
इसलिए जाओ किसी ताबीज पर यकीन करने के बजाए अपने कर्म पर, अपनी सोच पर, अपने निर्णय पर विश्वास करना सीखो!

इस बात को समझो कि जो हो रहा है वह अच्छे के लिए हो रहा है और निश्चय ही तुम सफलता के शीर्ष पर पहुंँच जाओगे!”

इसलिए आत्मविश्वास को जगाने के लिए श्री गुरु महाराज जी आत्मज्ञान की दीक्षा देते हैं। तभी जीव के अन्दर आत्मविश्वास पैदा होता है और वह अन्दर का आनन्द बना रहे उसके लिय, उस सतत विश्वास के लिए सेवा, सतसंग, समय के सद्गुरु द्वारा दिए आत्मज्ञान का अभ्यास करना भी भी परमावश्यक है।
गुरु सर्मथ सर पर खड़े, कहाँ कमी तोही दास!
रिद्धि सिद्धि सेवा करें, मुक्ति न छोड़े साथ!!
इसलिय भक्त को सदा जरूरत है – अपने सद्गुरु पर, अपने ज्ञानदाता पर अटूट विस्वास करने की है!



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