एक बंदा गुरू साहिब जी के पास आया करता था जब भी वो बंदा गुरुद्वारे मे प्रवेश करता तो ये शुक्राने वाला भजन चलता था और वो बंदा अपनी नौकरी

एक बंदा गुरू साहिब जी के पास आया करता था जब भी वो बंदा गुरुद्वारे मे प्रवेश करता तो ये शुक्राने वाला भजन चलता था और वो बंदा अपनी नौकरी, अपनी पारिवारिक परेशानी, पैसे की तंगी और दूसरी परेशानियाँ का सामना कर रहा था और दरबार मे बैठते ही वो बंदा होठो ही होठो मे कहता था कि किस बात का शुक्राना करू है क्या मेरे पास,

आपके पास आता हूँ आपने दिया क्या है मुझे परेशानियों के अलावा और दुखी मन से माथा टेक कर वापिस चला जाता लेकिन जब भी गुरू जी के पास वो बंदा बैठा होता ये शुक्राने वाला भजन जरूर लगता और बंदे को जख्म पर नमक की तरह महसूस होता और उल्टा सीधा सोचकर आज्ञा लेकर घर वापिस चला जाता जब भी आज्ञा लेने जाता तो गुरू जी को मन्द मन्द मुस्कुराते देखकर और बुरा लगता, खैर कुछ टाईम बाद आना ही छोड दिया, लगभग दो महीने बाद जब परेशानियाँ हद से ज्यादा बढ गयी तो गुरू साहिबजी याद आये और आ गया गुरू चरणो मे और उस दिन भी यही भजन सुनने को मिला बडे ही निराश मन से बैठा रहा शायद गुरू जी आज बुला ले और कल्याण कर दे मेरा, आखिर तक बैठा रहा जब गुरू जी ने नही बुलाया तो आज्ञा लेने गया तो गुरू साहिबजी कहने लगे ” बे जा (बैठ जा) मेरे कौल ते ओ जो दीवार नाल तीन बन्दे बैठे ने पता है कौन ने ?? उस बंदे ने कहा गुरू जी मैनू नही पता, गुरू जी ने केहा “ओ जो पहले दीवार दे नाल टोह लगाके बैठा है ओ अन्हा ( अन्धा ) है ते शुक्राना कर रेहा है “गुरू जी त्वाडा शुक्राना कि मै कम से कम अपने कन्नां (कान) नाल त्वाडी रबाबी ते रूहानी गुरूबाणी ते सुन रेहा हाँ आपदा हर पल शुक्राना मेरे वाहेगुरू जी,”

ते जो दूसरे नम्बर ते बैठा है ओ बहरा है सुन नही सकदा ते ओ वी बार बार शुक्राना कर रेहा है कि “हे मेरे गुरू जी अगर कान नही ने कोई गल्ल नही कम से कम अक्खां नाल त्वाडे सचखण्ड ते अपने भगवान गुरू जी दे दर्शन कर रेहा हाँ आपदा हर पल शुक्राना मेरे सतगुरू जी, ते तीजे नम्बर ते जो बैठा है ओहदे दोनो पैर नही ने बडी मुश्किल नाल दरबार विच आन्दा है ते शुक्राना करदा है कि “है मेरे सतगुरू जी की होया जे पैर नही हन कम से कम मेरे कौल दो अक्खां ने जिदे नाल मे त्वाडा नूरानी रूप देख सकदा हाँ कान दित्ते ने आपदी बख्शी दात गुरूबाणी सुन रेहा हाँ, महसूस कर सकदा हाँ, आपदा हर पल शुक्राना मेरे गुरू जी, तेनू ते मै सब कुछ दित्ता फैर क्यो नही शुक्राना करेंगा, किस दिन भूखा सूत्ता है तू या तेरा परिवार, कैडी ऐसी जरूरी लोड है जो पूरी नही कीत्ती बस ज्यादा नही दीत्ता क्योकि कुछ कर्म ऐसे होन्दे ने जो भुगतने पैन्दे ने ते मै तां तेरे नाल रहके तेरे कर्म भुगतवा रेहा हाँ अब बात उस बंदे की थी सारे भ्रम दूर हो गये थे आंखो पर छाया काला अन्धेरा मिट गया था और गुरू जी के चरणो मे गिरकर शुक्राना किया हमे गुरू जी से कुछ मांगने की जगह हर पल शुक्राना करना चाहिये समय आने पर उन्होने सब कुछ देना है इतना देना है कि हम संभाल भी नही पायेंगे.
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