दृष्टिकोण

दृष्टिकोण

एक अकेली साध्वी अपनी जीवन यात्रा में सांझ के समय एक गांव में पहुंची। उस गांव में थोड़े-से मकान थे। वह उन मकानों के सामने जाकर- लोगों से कहा कि ‘मुझे इस रात घर में ठहर जाने दें।’

एक अपरिचित स्त्री थी और उस गांव में जो लोग रहते थे, वह उनके धर्म को मानने वाली नहीं थी। लोगों ने अपने दरवाजे बंद कर लिए।

दूसरा गांव बहुत दूर था। एक तो रात, फिर अकेली। वह उस रात एक खेत में जाकर एक चेरी के दरख्त के नीचे चुपचाप सो गई।

सर्दी थी, और सर्दी की वजह से रात दो बजे उसकी नींद खुल गई। उसने देखा – फूल सब खिल गए हैं और दरख्त पूरा फूलों से लदा है और चांद ऊपर आ गया है। बहुत अदभुत चांदनी है और उसने उस आनंद के क्षण को अनुभव किया।

सुबह वह उस गांव में गई और उन-उन को धन्यवाद दिया, जिन्होंने रात्रि द्वार बंद कर लिए थे। उन्होंने कहा, ‘काहे का धन्यवाद!’

उसने कहा, ‘प्रेमवश, तुम सब ने मुझ पर करुणा और दया करके रात अपने द्वार बंद कर लिए, उसका धन्यवाद।

“मैं एक बहुत अदभुत क्षण को उपलब्ध कर सकी। मैंने चेरी के फूल खिले देखे और मैंने पूरा चांद देखा। मैंने कुछ ऐसा देखा जो मैंने जीवन में नहीं देखा था। और अगर आपने मुझे जगह दे दी होती तो मैं वंचित रह जाती। तब मैं समझी, उसकी करुणा कि परमात्मा ने क्यों मेरे लिए द्वार बंद कर रखे थे।”

यह एक दृष्टिकोण है। आप भी हो सकता था उस रात द्वार से लौटा दिए गए होते तो शायद आप इतने गुस्से में होते आपके मन में उन लोगों के लिए इतनी घृणा और क्रोध होता रात भर कि शायद आपको चेरी में फूल खिलते, दिखाई तो नहीं पड़ते और जब चांद ऊपर आता, तो आपको पता ही नहीं चलता। धन्यवाद तो बहुत दूर था, आप यह सब अनुभव भी नहीं कर पाते।

जीवन में एक और स्थिति भी है – जब हम प्रत्येक चीज के प्रति धन्यवाद से भर जाते हैं।

हमें हमेशा याद रखना है कि हमें सकारात्मक सोच के साथ हर एक के प्रति आभारी रहना चाहिय और यह विशवास होना चाहिय कि *जीवन में जो कुछ होता है वह उस रचयिता की रचना का हिस्सा है!
कहा भी है –
तेरी सत्ता के बिना, हे प्रभु मंगलमूल!
पत्ता तक हिलता नहीं, खिले न कोई फूल!!

🙏🏽🙏🙏🏼सुप्रभात🙏🏿🙏🏾🙏🏻


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