गुरुपूर्णिमा है एक सनातन महापर्व
आषाढ़ मास की पूर्णिमा को गुरु पूर्णिमा व व्यास पूर्णिमा भी कहते हैं। इस दिन सारे शिष्य अपने गुरु के चरणों में समर्पित हो कर उनकी पूजा करते हैं और उनके द्वारा प्राप्त ज्ञान के लिए उनके प्रति कृतज्ञता प्रकट करते हैं। द्वापर युग में इस दिन महर्षि व्यास जी का भी जन्म हुआ था और वे अपने समय के एक महान गुरु भी थे। उस समय से गुरु पूर्णिमा व्यास जयंती भी कही जाने लगीं। लेकिन इसका यह अर्थ कदापि नहीं कि महर्षि व्यास के बाद से ही गुरु पूर्णिमा मनाई जाने लगी।
याद रहे, सनातन धर्म के अन्य पर्वों की तरह गुरु पूर्णिमा भी सनातन काल से मनाई जाती रही है। होली दीवाली जैसे पर्वों की तरह इसका भी कोई एक कारण नहीं है। इस सनातन महापर्व की शुरुआत को किसी काल खंड से जोड़ना उचित नहीं। प्रत्येक सनातनी के लिए यह एक महान पर्व है और इसे इसी दिन मनाया जाना चाहिए।
हर हर महादेव।
- शीलभद्र उपाध्याय