जीवन में अनेक लोग मिलते हैं। कुछ दिन तक साथ रहते हैं।

जीवन में अनेक लोग मिलते हैं। कुछ दिन तक साथ रहते हैं।
“उनके साथ संबंध बनता है। कुछ दिन चलता है, और कुछ ही दिनों में टूट जाता है।”

फिर कुछ और नए लोग मिलते हैं। उनके साथ संबंध जुड़ता है।
“कुछ दिन उनके साथ भी संबंध चलता है, और कुछ दिनों में उनसे भी टूट जाता है।”

“इस प्रकार से बहुत सारे लोग जीवन में मिलते हैं। उनके साथ संबंध बनते रहते हैं, और टूटते रहते हैं। बहुत कम लोग ऐसे होते हैं, जिनके साथ लंबे समय तक संबंध बना रहता है।”

आखिर इसका कारण क्या है? क्यों संबंध टूट जाते हैं?
इसमें अनेक कारण हो सकते हैं। उनमें से एक मुख्य कारण यह है कि –
“व्यक्ति जब दूसरों के साथ उचित व्यवहार नहीं करता, तब दूसरे व्यक्ति को कष्ट होता है। एक दो बार तो व्यक्ति उस कष्ट को सहन कर लेता है, परंतु सहन करने की भी प्रत्येक व्यक्ति की एक सीमा होती है। उस सीमा तक वह उस कष्ट को सहन कर लेता है। और जब वह देखता है कि इस संबंध में मुझे लाभ कम हो रहा है तथा कष्ट अधिक हो रहा है, तब वह संबंध तोड़ देता है। फिर चाहे वह कोई बाहर का व्यक्ति हो, चाहे घर का सदस्य हो।”

“संबंध, खून के रिश्तों पर नहीं टिकते। बल्कि नम्रता सभ्यता धार्मिकता अनुशासन न्यायप्रियता इत्यादि गुणों के आधार पर टिकते हैं। सेवा और सम्मान के आधार पर टिकते हैं।”

“जब किसी व्यक्ति की दृष्टि में सम्मान कम हो जाता है, भाषा में सभ्यता नहीं रहती, फिर वह संबंध बहुत दिन तक नहीं टिकता, और शीघ्र ही टूट जाता है।”

इसलिए यदि आप किसी व्यक्ति के साथ लंबे समय तक संबंध बनाए रखना चाहते हों तो आपकी दृष्टि में उसके प्रति सम्मान होना चाहिए, और आप की भाषा में सभ्यता होनी चाहिए अन्यथा कुछ ही दिनों में वह संबंध टूट जाएगा। फिर चाहे वह व्यक्ति घर से बाहर का हो, चाहे घर का सदस्य भी क्यों न हो!”

आपने अखबारों में ऐसी घोषणाएं पढ़ी होंगी। वहां लिखा रहता है, कि “आज से मैं अपने बेटे के साथ संबंध तोड़ रहा हूं। आज से कोई व्यक्ति मेरे नाम पर इसके साथ कोई आर्थिक व्यवहार आदि आदि न करें। यदि करेगा, तो उसकी जिम्मेदारी मेरी नहीं होगी।”

“अतः जीवन को सुखमय और सफल बनाने के लिए सबके साथ अच्छी भाषा बोलें, तथा सम्मानपूर्वक सभ्यतापूर्वक व्यवहार करें।”



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