मन की शांति

मन की शांति

एक बार एक व्यक्ति की घड़ी कहीं खो गयी! तमाम कोशिशों के बाद भी घड़ी नहीं मिली! उसने निश्चित किया कि वह इस काम में बच्चों की मदद लेगा!

उसने सब बच्चों से कहा कि तुममें से जो कोई भी मेरी खोई घड़ी खोज देगा उसे मैं सौ रूपये दूंगा।

घंटों बीत जाने पर भी घड़ी नहीं मिली! तभी एक बच्चा उसके पास आया और बोला, ‘काका, मुझे एक मौका और दीजिये पर इस बार मैं यह काम अकेले ही करना चाहूंगा!’

बच्चा एक-एक करके घर के कमरों में जाने लगा! जब वह उस व्यक्ति के शयनकक्ष से निकला तो घड़ी उसके हाथ में थी।

व्यक्ति घड़ी देखकर प्रसन्न हो गया और अचरज से पूछा, बेटा,कहां थी वह घड़ी?

बच्चा बोला, मैंने कुछ नहीं किया! बस मैं कमरे में गया और चुपचाप बैठ गया और घड़ी की आवाज़ पर ध्यान केंद्रित करने लगा! कमरे में शांति होने के कारण मुझे घड़ी की टिक-टिक सुनाई दे गयी और घड़ी खोज निकाली।

जिस तरह कमरे की शांति घड़ी ढ़ूढ़ने में मददगार साबित हुई, उसी प्रकार मन की शांति भी हमको एकाग्रचित्त होकर मिल सकती है बशर्ते बाहरी शोरगुल से हम खुद को अलग करें *तभी स्वास रूपी घडी की टिक-टिक हमको सुनाई देगी!

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