योगिराज परमसंत सदगुरुदेव श्री ‘हंस’ जी महाराज का जन्म आज से 121 वर्ष पूर्व, 8 नवंबर 1900 को हुआ था। यद्यपि साकार रूप में वे केवल 66 वर्ष तक ही इस धराधाम पर रहे किंतु उनका ज्ञान उपहार आज भी विद्यमान है।
श्री ‘हंस’ जी महाराज एक ‘शिष्य’ भी थे और एक ‘गुरु’ भी थे।
_उन्होंने अपने गुरु स्वामी स्वरूपानंद जी से इस पावन ज्ञान की विरासत को ग्रहण किया और अपने परम शिष्य श्री प्रेम रावत जी को ना केवल तत्वज्ञान दिया बल्कि इसे संसार के कोने कोने तक उनके संदेश को प्रसारित करने का उत्तरदायित्व भी सौंपा!
आज से 100 साल पहले स्वामी स्वरूपानंद जी ने इस ज्ञान प्रचार की बागडोर संभाल रहे थे।
उन्होंने 1936 में अपने शिष्य श्री ‘हंस’ जी महाराज को यह बागडोर सौंपी थी।
जिसे 31 जुलाई 1966 से श्री प्रेम रावत जी ने आज तक संभाला हुआ है।
आज उनके प्राकट्य के 121 साल पूरे होने पर, इस पावन ज्ञान का भजन अभ्यास करने वाला हर बंदा, उनके उपकारों के लिए अनंत आभारी है।
उनके उपहार का आंनद लेने वाले हर गुरुभक्त को हार्दिक बधाई!
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