कहाँ छुपी हैं शक्तियां
एक बार देवताओं में चर्चा हो रहो थी। चर्चा का विषय था मनुष्य कि हर मनोकामनाओं को पूरा करने वाली गुप्त चमत्कारी शक्तियों को कहाँ छुपाया जाये?
सभी देवताओं में इस पर बहुत वाद- विवाद हुआ।
एक देवता ने अपना मत रखा और कहा कि इसे हम एक जंगल की गुफा में रख देते हैं।
दूसरे देवता ने उसे टोकते हुए कहा कि, नहीं-नहीं, हम इसे पर्वत की चोटी पर छिपा देंगे।
उस देवता की बात ठीक पूरी भी नहीं हुई थी कि कोई कहने लगा, “न तो हम इसे कहीं गुफा में छिपायेंगे और न ही इसे पर्वत की चोटी पर, हम इसे समुद्र की गहराइयों में छिपा देते हैं। यही स्थान इसके लिए सबसे उपयुक्त रहेगा।”
सबकी राय खत्म हो जाने के बाद एक बुद्धिमान देवता ने कहा, क्यों न हम मानव की चमत्कारिक शक्तियों को मानव -मन की गहराइयों में छिपा दें?
चूँकि बचपन से ही मानव मन इधर -उधर दौड़ता रहता है तो मनुष्य कभी कल्पना भी नहीं कर सकेगा कि ऐसी अदभुत और विलक्षण शक्तियांँ उसके भीतर छिपी हो सकती हैं और वह इन्हें बाह्य जगत में खोजता रहेगा!
अतः इन बहुमूल्य शक्तियों को हम उसके मन की निचली तह में छिपा देंगे।
बाकी सभी देवता भी इस प्रस्ताव पर सहमत हो गए और ऐसा ही किया गया। मनुष्य के भीतर ही चमत्कारी शक्तियों का भण्डार छुपा दिया गया!
इसलिए कहा भी जाता है कि, मानव मन में अद्भुत शक्तियांँ निहित हैं।
यह कहानी यही संदेश देती है कि मानव मन असीम ऊर्जा का कोष है।
इन्सान जो भी चाहे वो हासिल कर सकता है। मनुष्य के लिए कुछ भी असाध्य नहीं है।
लेकिन बड़े दुःख की बात है उसे स्वयं ही विश्वास नहीं होता कि उसके भीतर इतनी शक्तियांँ विद्यमान हैं।
इसलिय लोगों के लिय जरूरी है कि अपने अन्दर की शक्तियों को पहचानिये, उन्हें पर्वत, गुफा या समुद्र में मत ढूंँढिए बल्कि अपने अन्दर खोजिये और अपनी शक्तियों को निखारिए।
वर्तमान में, सुविख्यात शांति के संदेश को पिछले 56 साल से पूरे संसार के अन्दर फ़ैलाने वाले आदरणीय श्री प्रेम रावत जी ह्रदय स्थित उस आनन्द का व्यावहारिक बोध करा रहे हैं! उनका कहना है कि अगर मनुष्य उस दिशा में एक कदम बढ़ाये तो आज के माहोल में भी हर मनुष्य के लिय शांति सम्भव है!
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