सकरात्मक दृष्टिकोण
एक गरीब आदमी बड़ी मेहनत से एक-एक रूपया जोड़ कर मकान बनवाता है। उस मकान को बनवाने के लिए वह पिछले 20 वर्षों से एक-एक पैसा बचत करता है, ताकि उसका परिवार छोटे से झोपड़े से निकलकर पक्के मकान में सुखी से रह सके।
आखिरकार एक दिन मकान बन कर तैयार हो जाता है। तत्पश्चात पंडित से पूछ कर गृह प्रवेश के लिए शुभ तिथि निश्चित की जाती है।
लेकिन गृहप्रवेश के 2 दिन पहले ही भूकंप आता है, और उसका मकान पूरी तरह ध्वस्त हो जाता है।
यह खबर जब उस आदमी को पता चलती है तो वह दौड़ा दौड़ा बाजार जाता है और मिठाई खरीद कर ले आता है।
मिठाई लेकर वह घटनास्थल पर पहुंचता है, जहां पर काफी लोग इकट्ठे होकर उसके मकान गिरने पर अफसोस जाहिर कर रहे थे।
ओह बेचारे के साथ बहुत बुरा हुआ, कितनी मुश्किल से एक – एक पैसा जोड़कर मकान बनवाया था।
इसी प्रकार लोग आपस में तरह तरह की बातें कर रहे थे।
वह आदमी वहाँ पहुंचता है और झोले से मिठाई निकाल कर सबको बाँटने लगता है।
यह देखकर सभी लोग हैरान हो जाते हैं।
तभी उसका एक मित्र उससे कहता है कि कहीं तुम पागल तो नहीं हो गए हो, घर गिर गया, तुम्हारी जीवन भर की कमाई बर्बाद हो गई और तुम खुश होकर मिठाई बांट रहे हो।
वह आदमी मुस्कुराते हुए कहता है कि –
तुम इस घटना का सिर्फ नकारात्मक पक्ष देख रहे हो इसलिए इसका सकारात्मक पक्ष तुम्हें दिखाई नहीं दे रहा है।
ये तो बहुत अच्छा हुआ कि मकान आज ही गिर गया वरना तुम्हीं सोचो अगर यह मकान 2 दिनों के बाद गिरता तो मैं मेरी पत्नी और बच्चे सभी मारे जा सकते थे, तब कितना बड़ा नुकसान होता।
नकारात्मक दृष्टिकोण को त्याग दीजिये,अपने घर मे बच्चों तथा बुजुर्गो को कहिये-
“आप स्वस्थ रहिये, खुश हम आपको रख लेंगे!”
हर व्यक्ति सुबह उठकर प्लान करता है कि आज 2 बजे वहाँ जाऊंगा।
आज 4 बजे उससे मिलूंगा जबकि अगले पल का भरोसा नहीं।
सुबह उठकर मन मे सोचिए कि “श्री हरि इच्छा, देखे आज ईश्वर, क्या करवाता है, कैसा दिन गुजरवाता है!”
जो है वो सबसे बढ़िया है! क्योंकि वो जो नहीं है वो अगर सबसे बढ़िया होता तो वही होता, ये न होता!
अर्थात जो है वो सबसे बढ़िया है। जो नहीं है वो मेरे लिए बढ़िया नहीं रहा होगा इसलिए ईश्वर ने नही होने दिया!
आप सभी का दिन शुभ हो।
🙏🙏🙏🙏🙏🏻😊
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