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मृत्यु का भय जीवन को बदल देता है एक बार की बात है सन्त तुकाराम अपने आश्रम में बैठे हुए थे। तभी उनका एक शिष्य, जो स्वाभाव से थोड़ा क्रोधी था! उनके समक्षआया और बोला, *”गुरूजी, आप कैसे अपना व्यवहार इतना मधुर बनाये रहते हैं? ना आप किसी पर क्रोध करते हैंऔर ना ही किसी […]
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खुद में रा़स्ता ढूढ़े! एक बार स्वामी विवेकानन्द के आश्रम में एक व्यक्ति आया जो देखने में बहुत दुःखी लग रहा था। वह व्यक्ति आते ही स्वामी जी के चरणों में गिर पड़ा और बोला कि महाराज मैं अपने जीवन से बहुत दुःखी हूँ! मैं अपने दैनिक जीवन में बहुत मेहनत करता हूँ – काफी […]
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समय के सद्गुरु में पूर्ण समर्पण से भटकाव खत्म होता है! एक बगीचा था। नाना प्रकार के पुष्प उसमें खिले हुए थे और एक भौंरा एक पुष्प से दूसरे पुष्प पर बैठता था। परंतु एक चंपा का जो विशाल वृक्ष था- उस चंपा के बड़े फूल में बड़ी सुंदरता और खूशबू होती है, लेकिन वह […]
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जब हम कहते रहते हैं, हमारे पास भक्ति के लिए समय नहीं है तो परिणाम क्या होता है। एक बहुत बड़ा सौदागर नौका लेकर दूर-दूर देशों में करोड़ों रुपये कमाने जाता था।उसके मित्रों ने उससे कहा कि तुम नौका में घूमते हो। पुराने जमाने की नौका है। समुद्र में तूफ़ान आते हैं, खतरे बहुत होते […]
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